नासा ने एक्सरे स्पेस टेलिस्कोप की मदद से तैयार की ब्लैक होल की अनोखी तस्वीर
ब्लैक होल के नाम के साथ एक गहरे काले रंग का आकार दिमाग में आता है, जिसके इर्द-गिर्द लाल, नीली जैसी रोशनी का घेरा हो और बीच से रेडिएशन का एक जेट निकल रहा हो।
वॉशिंगटन । ब्लैक होल के नाम के साथ एक गहरे काले रंग का आकार दिमाग में आता है, जिसके इर्द-गिर्द लाल, नीली जैसी रोशनी का घेरा हो और बीच से रेडिएशन का एक जेट निकल रहा हो।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के चंद्र एक्सरे स्पेस टेलिस्कोप की मदद से एक ब्लैक होल की अनोखी तस्वीर तैयार की गई है।
इस तस्वीर में ब्लैक होल के किनारे कई छल्ले नजर आ रहे हैं। वहीं, इंस्टाग्राम पर जब यह तस्वीर शेयर की गई तो लोगों ने इसे पोकमान कार्टून की गेंद बता दिया।
इस ऑब्जर्वेशन की मदद से हमारी गैलेक्सी में मौजूद धूल के बारे में नई जानकारी मिली थी। करीब 6 साल पहले 15 जून, 2015 को लाइट इकोज नाम का फीचर एक सिस्टम में डिटेक्ट किया गया, जो एक्स-रे बर्स्ट से हाई-एनर्जी छल्ले बनने के कारण पैदा हुआ था।
ये लाइट इकोज तब बनते हैं जब ब्लैक होल से निकलने वाली एक्स रे, उसके और धरती के बीच मौजूद धूल के बादलों से टकराती हैं। करीब 7,800 प्रकाशवर्ष दूर स्थित यह ब्लैक होल अपने करीब के एक सितारे से मैटर खींचता है।
यह मैटर एक्स-रेज में चमकता है। इसकी वजह से ऐस्ट्रॉनमर्स इसे एक्स-रे बाइनरी सिस्टम कहते हैं। चंद्र की ली एक तस्वीर को पैन-स्टार्स टेलिस्कोप के ऑप्टिकल डेटा के साथ जोड़ा गया, जिससे सितारे भी नजर आने लगे।
हर एक छल्ला 2015 में डिटेक्ट किए गए एक्स-रे चमक से बनता है जो धूल के बादलों से टकराकर बनी है। नासा ने बताया है कि खगोलीय धूल धुएं की तरह होती है और इसमें छोटे-छोटे सॉलिड पार्टिकल होते हैं।
इनसे तरंगों और किरणों के टकराने पर ऐस्ट्रॉनमर कई तरह की चीजें पता कर सकते हैं, जैसे ब्लैक होल के बिहेवियर या बीच में मौजूद मैटर के बारे में।