27 नवम्बर गुरुनानक जयंती पर विशेष: छत्तीसगढ़ से भी गुरु का नाता

कार्तिक पूर्णिमा 2080 के दिन अवतरित हुए सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी का प्रदेश के महासमुन्द जिले से भी एक विशेष नाता रहा है. महासमुन्द जिले की बसना विकासखण्ड के छोटे से ग्राम नानक सागर में गुरु के आने के प्रमाण के साथ रिसर्च से यह बात सामने आई है कि गुरु ने अपनी उदासी यात्रा के दौरान दो दिन यहां रुक कर विश्राम किया

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कार्तिक पूर्णिमा 2080 के दिन अवतरित हुए सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी का प्रदेश के महासमुन्द जिले से भी एक विशेष नाता रहा है. महासमुन्द जिले की बसना विकासखण्ड के छोटे से ग्राम नानक सागर में गुरु के आने के प्रमाण के साथ रिसर्च से यह बात सामने आई है कि गुरु ने अपनी उदासी यात्रा के दौरान दो दिन यहां रुक कर विश्राम किया. विश्राम के दौरान यहां के निवासियों को अपने उपदेश दिए. इन उपदेशों का असर आज भी नानक सागर जैसे एक हजार से कम आबादी के ग्राम में देखने मिलता है.

वैसे श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा तिथि को करतारपुर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था. वहीं 22 सितंबर, 1539 को उन्होंने अपना शरीर त्यागा था.श्री गुरुनानक देव जी को सिक्खों के अलावा पाकिस्तान के मुस्लिम एवम भारतीय बंजारा समाज एवम रविदास समाज भी गुरु के रूप में ही पूजता है.

जिले मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बसना विकासखण्ड के अंतर्गत एक छोटा सा ग्राम है नानक सागर. यह ग्राम अपने नाम के कारण सिक्खों का प्रिय ग्राम बन गया है. उक्त ग्राम के ग्रामीण इस बात को अपने पूर्वजों से सुनते आ रहे है कि श्री गुरुनानक देव जी अपनी उदासी (विश्व भृमण यात्रा) के दौरान नानक सागर में दो दिन रुके थे. जहां गढ़फुलझर एवम रानीसागर(अब नानकसागर) में प्रतिदिन अपनी वाणी से भजन कीर्तन के साथ उपदेश दिया करते थे. उनकी मधुर वाणी एवम उनके सहयोगी बालाजी एवम मर्दाना जी का सुमधुर संगीत ग्रामीणों को इतना भा गया कि वे गुरु को कुछ दिन और रोकने की मिन्नतें करते रहे. परन्तु मात्र विश्राम के लिए रुके गुरुनानक देव जी अपने निर्धारित समय अनुसार ही आगे बढ़ गए. सिक्ख समाज के जानकार बताते है कि सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देव 1506 ई में अमरकंटक से जगन्नाथपुरी यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के बसना के समीप गढ़फुलझर गांव (महासमुंद) में दो दिन विश्राम हेतु रुके थे.

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मिशल से पता चला गुरु का इतिहास

ग्राम गढ़फुलझर निवासी एवम वहां के गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह हरजु बताते है कि कोई तीन वर्ष पूर्व नानक सागर नाम का ग्राम सुनकर रायपुर के एक सिक्ख युवक रिंकू ओबेरॉय और दिल्ली से आये देवेंद्र सिंह आनन्द नानक सागर पहुचे थे. वहां उन्होंने ग्राम प्रमुख सुवर्धन प्रधान से मिले. श्री प्रधान ने नानक सागर के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि तत्कालीन भैना राजा ने नानक सागर नाम श्री गुरुनानक देवजी के यहां आगमन के बाद उनकी याद में रखा था. इसके अलावा करीब दो हेक्टयर खेत भी गुरु के नाम से किये गए है. इसका प्रमाण जुटाने में लगे रिंकू एवम श्री आनन्द ने जिला मुख्यालय महासमुन्द से ज़ब मिशल रिकॉर्ड निकलवाया तब वे भी चौक गए.

कोई 100 साल पुराने मिशल रिकॉर्ड में खसरा न 267 एवम 688 में क्रमशः 2.26 एवम 1.99 हेक्टयर भूमि गुरुनानक देव जी के नाम से दर्ज है. इस महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने के बाद रिसर्च आगे बढ़ी और धीरे धीरे ऐसे सभी प्रमाण मिलते गए जिससे यह पता चल सके कि श्री गुरुनानक देव जी का आगमन कोई 519 वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ की पावन धरा गढ़फुलझर के समीप नानकसागर में हुआ था. नानक सागर में श्री गुरुनानक देव जी के कोई 500 वर्ष पूर्व आगमन की चर्चा मात्र से प्रदेश के साथ विश्व भर के सिक्खों का यहाँ दर्शनार्थ आगमन होने लगा है.

 पूर्णिमा में होता है कीर्तन समागम

नानक सागर में गुरु के आगमन प्रमाणित होते ही यहां होली के समय होला महल्ला कार्यक्रम एबम अन्य पर्वो पर श्री अखंड पाठ रखा जाता है और समाप्ति पर कीर्तन समागम के साथ लगातार लंगर का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रमो में सिखों के अलावा बंजारा समाज एवम रविदासिया समाज भी नानक सागर के प्रति आस्था से जुड़ जाने के कारण यहां के कार्यक्रमो में अच्छे खासे श्रद्धालु जुटने लगे है.

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 चमत्कारिक नानकडेरा 

नानक सागर ग्राम के बीचोबीच एक चौराहे पर एक चबूतरा बना हुआ है. ग्रामीण बताते है कि इस चबूतरे पर बैठके करने से किसी भी उलझे से उलझे मामले कुछ मिनटों में ही आसानी से निपट जाते है. इसी चबूतरे पर श्रद्धालु आकर बैठते है और आने दुख निवारण की अरदास करते है. चर्चा में ग्रामीण एवम कुछ सिक्ख श्रद्धालु भी यहां के किस्से सुनाते है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण इस ग्राम का एक भी विवाद आज तक थाना या कोर्ट कचहरी तक नही पहुचा है. इस चबूतरे के आसपास कुत्ते भी कभी गंदगी नही करते. ग्राम में ही  प्रायः सभी विवाद इस चबूतरे में बैठक करने से तत्काल निपट जाते है.

नानकसागर अब बनेगा पर्यटन एवम तीर्थ स्थल

विगत वर्ष इस गांव में नानक सागर साहिब गुरुद्वारा के नाम से भव्य तीर्थस्थल बनाये जाने की घोषणा की गई है. गुरुनानक देव के आगमन की पुष्टि होने के बाद गढ़फुलझर को वैश्विक पहचान मिलने लगी है और इस ऐतिहासिक स्थान पर विशाल गुरुद्वारे के साथ लंगर हॉल, धर्मशाला, मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल और स्कूल का निर्माण भी कराया जाएगा.इसके अलावा छत्तीसगढ़ सिक्ख समाज की ओर से भी यहां भव्य एवम एतिहासिक गुरुद्वारा बनाने की योजना बनाई गई है.

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नानक सागर के इतिहास पर ग्रन्थ लिखा गया

नानक सागर में सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी के दो दिन रुकने के प्रमाण मिलने के बाद अब प्रदेश के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवम साहित्यकार वयोवृद्ध लेखक शिवशंकर पटनायक द्वारा *दिव्य धाम नानक सागर*की रचना की गई है. जिसके प्रकाशक रजिंदर खनूजा हैं.

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 एक दिसम्बर को मनेगा प्रकाश पर्व

श्री गुरुनानक जयन्ती के अवसर पर आगामी एक नवम्बर को नानक सागर में गुरुनानक जयंती के आयोजन किया गया है. इस दिन सुबह से श्री अखंड पाठ की समाप्ति के साथ अमृतसर से आये कीर्तन जत्थे द्वारा शबद कीर्तन किया जयेगा. इसके बाद लंगर एवम नगर कीर्तन का आयोजन भी किया गया है. नगर कीर्तन में प्रदर्शन हेतु दुर्ग से गतका टीम भी नानक सागर पहुचेगी.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा  

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