ओडिशा पंचायत चुनाव : 35 बरस से चुनाव लड़ते 60 के हो गये पर जीत हासिल नहीं
35 बरस से चुनाव लड़ते-लड़ते उम्र 60 की हो गई लेकिन अब तक जीत हासिल नहीं हुई लेकिन उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है इस पंचायत वार्ड के प्रत्याशी ने | साइकिल पर सवार प्रचार सामग्री के साथ जीत का पूरे हौसले के साथ वे दिखाई देते हैं |
भुवनेश्वर| 35 बरस से चुनाव लड़ते-लड़ते उम्र 60 की हो गई लेकिन अब तक जीत हासिल नहीं हुई लेकिन उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है इस पंचायत वार्ड के प्रत्याशी ने | साइकिल पर सवार प्रचार सामग्री के साथ जीत का पूरे हौसले के साथ वे दिखाई देते हैं |
ये हैं भद्रक जिले के तिहिड़ी ब्लाक के गुआमाला पंचायत के अश्विनी सेठी| पंचायत के अमृतपुर गांव निवासी सेठी वार्ड मेम्बर के पद के लिए एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं | वे पिछले 35 वर्षों से इसी वार्ड से मेम्बर के लिए लड़ते आ रहे है पर जीत अब तक हाथ नहीं आया है |
सेठी के मुताबिक , मैंने कभी भी असफलताओं को अपने हौसले को कम नहीं होने दिया। बल्कि मैं उन्हें अगला चुनाव लड़ने के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में लेता हूं|
वे कहते हैं, एक गरीब आदमी होने के नाते, चुनाव में पैसा खर्च करना मेरे लिए मुमकिन नहीं है | मुझे पता है मैं इसी कारण हार जाता हूँ | लेकिन हर चुनाव में उम्मीद की नई किरण नजर आती है और चुनाव लड़ने से खुद को रोक नहीं पाता हूँ |
उनका चुनाव चिन्ह बैलगाड़ी है , यह चिन्ह कई चुनाव में मिल चुका है | लोग जानते हैं इसलिए अब साइकिल पर घूमता हूँ और लोगों से वोट देने की अपील करता हूँ |
मुझे वोट देने वाले अगली बार फिर से लड़ने का हौसला देते हैं , उनका विश्वास ही मुझमें विश्वास जगाता है|
राजनीतिक दलों द्वारा अपने पाले में लाकर चुनाव लड़ने की पेशकश की जा चुकी है पर वे निर्दलीय रूप से स्वतंत्र चुनाव लड़ना पसंद करते हैं | गाँव में मिलनसार और मददगार के रूप में जाने पहचाने जाने वाले सेठी अपने सिद्धांतों के पक्के हैं | पर हर बार उनका हार जाना लोगों को हैरान कर जाता है |
एक महिला वोटर कहती है , इस तरह का साफ सुथरा इन्सान हमने नहीं देखा , उसका चुनाव हारना हमें निराश कर जाता है | यहाँ के लोग अब महसूस करने लगे हैं कि उसे एक बार मौका दिया जाना चाहिए |
सेठी की बहू कहती है , गरीब होने की वजह से मेरे ससुर अब तक नहीं जीते | लोग सोचते हैं कि जितने के बाद भी वे उनके कामों में मदद नहीं करा पाएंगे|