कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव सितंबर 2022 में होंगे ?
CWC कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव सितंबर 2022 में किये जाने का फैसला लिया गया है | ठक में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी और कई अन्य नेता शामिल थे| बैठक में दिग्विजय सिंह शामिल नहीं थे |
नई दिल्ली| CWC कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव सितंबर 2022 में किये जाने का फैसला लिया गया है | समाचार एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से यह ट्विट किया है |
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं की ओर से पार्टी के भीतर संवाद की मांग किए जाने और हाल के महीनों में कई नेताओं के पार्टी छोड़ने की पृष्ठभूमि में हुई बैठक में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी और कई अन्य नेता शामिल थे| बैठक में दिग्विजय सिंह शामिल नहीं थे |
कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव सितंबर 2022 में होगा: सूत्र pic.twitter.com/UdespG2dto
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 16, 2021
मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि वो ही कांग्रेस की पूर्णकालिक अध्यक्ष हैं. सोनिया ने अपने संबोधन में कहा, “यदि आप मुझे ऐसा कहने की अनुमति देते हैं तो मैं कहती हूं कि मैं ही कांग्रेस की फुल टाइम अध्यक्ष हूं, मेरे लिए मीडिया के जरिये बात करने की जरूरत नहीं है| पार्टी में संगठन चुनाव पर सोनिया ने कहा कि संगठन चुनाव का पूरा खाका आपके सामने आ रहा है|
बता दें पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने CWC की बैठक बुलाने की मांग की थी। आजाद ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पार्टी से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए कांग्रेस कार्य समिति की तत्काल बैठक बुलाई जाए।
सिब्बल ने भी पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान के बीच पिछले दिनों पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए तथा संगठनात्मक चुनाव कराए जाने चाहिए।
सोनिया गांधी ने बैठक में केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हत्याओं में अचानक तेजी आई है। अल्पसंख्यकों को स्पष्ट रूप से निशाना बनाया गया है। इसकी कड़ी से कड़ी निंदा की जानी चाहिए।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, मैं मानसून संसद के स्थगित होने के बाद से यह बैठक करना चाहती थी। अब जब हम सभी का दोहरा टीकाकरण हो गया है, तो मैंने फैसला किया कि हम अपने मास्क के साथ आमने-सामने बैठकर बात करें। सबसे पहले मैं डॉ मनमोहन सिंह के पूर्ण और शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं।
सोनिया गांधी ने कहा, इस बार हम, किसानों और किसान संगठनों द्वारा जारी आंदोलन की पृष्ठभूमि में मिल रहे हैं। संसद के माध्यम से ‘तीन काले कानून’ को वापस लेने की मांग करते एक साल से अधिक समय हो गया है। हमारे विरोध बाद भी मोदी सरकार उन्हें पारित कराने पर तुली हुई थी ताकि कुछ निजी कंपनियों को फायदा हो सके। किसानों ने तुरंत अपना विरोध शुरू कर दिया और तब से अब तक बहुत कुछ झेला है। लखीमपुर-खीरी की चौंकाने वाली घटनाएं हाल ही में हुई हैं। भाजपा लगातार किसानों को धोखा देती रही है।
सोनिया गांधी ने कहा, “हमें यह विश्वास दिलाना है कि सरकारी प्रचार के बावजूद अर्थव्यवस्था बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है। सरकार के पास आर्थिक सुधार के लिए एक ही उत्तर है कि वह दशकों से बड़े प्रयास से निर्मित राष्ट्रीय संपत्तियों को बेच रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के न केवल सामरिक और आर्थिक उद्देश्य थे — इसके सामाजिक लक्ष्य भी हैं, उदाहरण के लिए, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का सशक्तिकरण और पिछड़े क्षेत्रों का विकास। लेकिन यह सब मोदी सरकार के बेचो, बेचो, बेचो के सिंगल-पॉइंट एजेंडे से खतरे में है।”
उन्होंने कहा इस बीच, “आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में – खाद्य और ईंधन की बेरोकटोक वृद्धि जारी है, पेट्रोल-डीजल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है।”
सोनिया गांधी ने कहा, हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में हत्याओं में अचानक तेजी आई है। अल्पसंख्यकों को स्पष्ट रूप से निशाना बनाया गया है। इसकी कड़ी से कड़ी निंदा की जानी चाहिए। हमने ऐसा किया है और मैं फिर से निंदा करती हूं। जम्मू-कश्मीर दो साल से केंद्र शासित प्रदेश रहा है। इन बर्बर अपराधों के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।
सोनिया गांधी ने यूथ कांग्रेस और पार्टी कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए कहा, पिछले दो वर्षो में, बड़ी संख्या में हमारे सहयोगियों, विशेष रूप से युवाओं ने पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को लोगों तक ले जाने में नेतृत्व की भूमिका निभाई है – चाहे वह किसानों का आंदोलन हो, महामारी के दौरान राहत का प्रावधान हो, मुद्दों को उजागर करना हो।