पंजशीर- अमरुल्लाह सालेह गरजे, ‘अफगानिस्तान से सिर्फ अल्लाह ही मुझे जुदा कर सकता है
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भाग गए।
काबुल । अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भाग गए। इसके बाद खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह तालिबान के आगे झुकने को कतई तैयार नहीं है।
उनका कहना है कि अफगानिस्तान से मेरी आत्मा को सिर्फ अल्लाह ही अलग कर सकता है लेकिन मेरे अवशेष हमेशा यहां की मिट्टी से जुड़े रहेंगे।
सालेह फिलहाल पंजशीर घाटी में हैं, जहां तालिबान का कब्जा नहीं है। सालेह नार्दन अलायंस का समर्थन कर रहे हैं जो तालिबान से जंग का ऐलान कर चुका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पंजशीर घाटी पर भी जल्द तालिबान का कब्जा हो सकता है। पेरिस की सोरबोन यूनिवर्सिटी में अफगान विशेषज्ञ गिल्स डोरोनसोरो का कहना है कि वर्तमान समय में प्रतिरोध सिर्फ मौखिक है क्योंकि तालिबान ने अभी तक पंजशीर में घुसने का प्रयास नहीं किया है।
अफगानिस्तान में दो दशक तक रही अमेरिका समर्थित सरकारों में सालेह प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। मौजूदा समय में भी तालिबान विरोधी उन्हें अगला अफगान राष्ट्रपति मान रहे हैं।
सालेह ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, ‘तालिबान अन्दराब घाटी में खाना और ईंधन नहीं आने दे रहा है। मानवीय स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।
हजारों महिलाएं और बच्चे पहाड़ों को छोड़कर जा चुके हैं। दो दिनों में तालिबान ने बच्चों और बुजुर्गों को अगवा किया है। आतंकी इनका इस्तेमाल ढाल की तरह कर रहे हैं ताकि वह खुलेआम घूम सकें और घर-घर जाकर तलाशी ले सकें।
सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो में सालेह पंजशीर की घाटी में वॉलीबॉल खेलते नजर आ रहे थे। ट्विट पर लोगों ने उन्हें ‘अफगानिस्तान का हीरो’ बताया।
पंजशीर घाटी की सुरक्षा अहमद मसूद के हाथों में है जो अहमद शाह मसूद का बेटा है। दोनों ने पंजशीर में शरण ली है और यहीं से तालिबान को ललकार रहे हैं।
दूसरी ओर तालिबान ने धमकी दी है कि 31 अगस्त के बाद अगर अमेरिकी और अन्य विदेशी सैनिक देश में रुके तो उन्हें ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे। अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी का अभियान चला रहा है जिसके पूरा होने के लिए 31 अगस्त तक का लक्ष्य रखा गया है।