ढाका इस्कॉन मंदिर पर कट्टरपंथियों का हमला, तोड़फोड़-लूटपाट ,कुछ हिन्दू जख्मी
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इस्कॉन मंदिर पर कल 17 मार्च की शाम कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया | तोड़फोड़ और लूटपाट भी की | हमले में कुछ हिन्दू जख्मी हो गए हैं |
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इस्कॉन मंदिर पर कल 17 मार्च की शाम कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया | तोड़फोड़ और लूटपाट भी की | हमले में कुछ हिन्दू जख्मी हो गए हैं |
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कल गुरुवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बने इस्कॉन मंदिर पर शाम 7से 8 बजे के बीच 200 से ज्यादा लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया था। भीड़ ने तोड़फोड़ और लूटपाट भी की। बताया गया इस दौरान मंदिर में मौजूद कुछ लोगों से कट्टरपंथियों ने मारपीट भी की ।
वॉइस ऑफ बांग्लादेश ने लिखा है, ‘शब-ए-बारात की रात, चरमपंथी एक बार फिर ढाका के वारी राधाकांता इस्कॉन मंदिर पर हमला कर रहे हैं| हम सभी हिंदुओं से अपील करते हैं कि मंदिर की सुरक्षा करने में अपनी भूमिका निभाएं|’ इस ट्विटर हैंडल पर हमले से जुड़ी तस्वीरें भी शेयर की गई हैं|
On the night of shab-e-barat, Extremists are again attacking the Wari Radhakanta #ISKCON temple in Dhaka. We are requesting to all the Hindus to play their role in protecting the temple. #SaveBangladeshiHindus#SaveHinduTemplesInBangladesh @RadharamnDas @iskcon @india_iskcon pic.twitter.com/DVLZF7yVPG
— Voice Of Bangladeshi Hindus 🇧🇩 (@VoiceOfHindu71) March 17, 2022
बता दें पिछले 3 से 4 सालों में बांग्लादेश में हमलों की संख्या लगातार बढ़ी है| यह पहला मौका नहीं है, जब बांग्लादेश में मंदिरों पर हमला हुआ है| पिछले साल नवरात्रि पर हिंदुओं के खिलाफ अफवाह फैलाकर दुर्गा पूजा पंडालों और हिंदुओं के घरों पर हमले किए गए थे|
एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में वर्तमान में कुल आबादी 16.5 करोड़ से ज्यादा है। जिसमें हिंदुओं की संख्या सिर्फ 9 फ़ीसदी है।
इधर इस्कॉन इंडिया के उपाध्यक्ष राधारमण दास में ट्वीट कर लिखा कि ढोल यात्रा और होली समारोह की पूर्व संध्या पर इस तरह के हमले काफी शर्मिंदा करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हम आश्चर्यचकित हैं कि खुद संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यक की पीड़ा पर चुप बैठा है। इतने सारे हिंदू अल्पसंख्यकों ने अपनी जान, संपत्ति खो दी है, लेकिन अफसोस, संयुक्त राष्ट्र चुप है। (deshdesk)