अफगानिस्तान को फिर कभी आतंकवादियों की पनाहगाह नहीं बनना चाहिए : चीन
अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद चीन ने इस कट्टर चरमपंथी संगठन को मान्यता प्रदान कर दी है। हालांकि, दुनिया में किरकरी होने के बाद चीन ने अपने सुर कुछ बदल लिए।
बीजिंग । अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद चीन ने इस कट्टर चरमपंथी संगठन को मान्यता प्रदान कर दी है। हालांकि, दुनिया में किरकरी होने के बाद चीन ने अपने सुर कुछ बदल लिए।
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चीन के उपस्थायी प्रतिनिधि गेंग शुआंग ने तालिबान से कहा कि आप शांतिपूर्ण शासन करें, लेकिन अफगानिस्तान को आतंकी समूहों की शरणस्थली न बनने दें।
शुआंग की यह टिप्पणी अफगानिस्तान की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक के दौरान आई। गेंग ने भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा कि अफगानिस्तान को फिर कभी आतंकवादियों का अड्डा नहीं बनना चाहिए।
अफगानिस्तान में किसी भी भविष्य के राजनीतिक समाधान के लिए यह नीचे की रेखा है जिसे दृढ़ता से रखा जाना चाहिए।
शुआंग ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अफगानिस्तान में तालिबान अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरी ईमानदारी से निभाएगा। आतंकवादी संगठनों से पूरी तरह से निजात पा लेगा।
उन्होंने आगे कहा कि सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार अपने दायित्वों को पूरा करना चाहिए।
सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद का मुकाबला करने में एक-दूसरे के साथ काम करना चाहिए और इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों को रोकने के लिए दृढ़ कार्रवाई करनी चाहिए।
चीन ने ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को लेकर भी चेतावनी दी। शुआंग ने कहा कि यह आतंकी संगठन फिर से सक्रिय हो सकता है, इसलिए इस पर विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत है।
यूएनएससी अल-कायदा प्रतिबंध समिति ने वर्ष 2002 में ईटीआईएम को एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया था।
यह पूछे जाने पर कि चीन तालिबानी सरकार को कब मान्यता देगा और क्या बीजिंग उसके लिए कोई शर्त भी रखेगा तो इस पर शुआंग ने चतुराई भरा जवाब दिया।
उन्होंने कहा अफगानिस्तान में सभी पक्षों की इच्छाशक्ति का पूरा सम्मान करते हुए बीजिंग तालिबान से संपर्क और संचार बना रहा है। चीन राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देने में एक प्रयासरत भूमिका निभा रहा है।