बारनवापारा वनाचंल के आदिवासियों ने मनाया अक्ति त्योहार
बारनवापारा वानाचंल के सभी गांवों में आदिवासी समाज ने अक्षय तृतीया अक्ति का त्योहार उत्सह के बीच पारम्परिक रूप से मनाया.
पिथौरा| बारनवापारा वानाचंल के सभी गांवों में आदिवासी समाज ने अक्षय तृतीया अक्ति का त्योहार उत्साह के बीच पारम्परिक रूप से मनाया. पुरखों के द्वारा बनाये रूढ़ी,प्रथा, परम्परा पर आधारित गांव वाले आज सुबह से नहा धोकर , बच्चे बुजुर्ग धोती कुर्ता में, ठाकुरदेव ठाना में परसा पत्ते से बनें दोना मे धान, महुआ एवं इस वर्ष अपने कृषि कार्य में उगाने हेतु सभी बीजों को ठाकुर देव में ले जाकर चढ़ाया गया. इस वर्ष फसल की बढ़ोत्तरी के लिए विशेष अर्जी विनती की गई.
अक्ति तिहार आदिवासी समाज का इस वर्ष का पहला तिहार हैं, आदिवासी समाज आज से कुछ नये वस्तुओं व वनों के चीज़ों उपयोग करेगा। जैसे परसा पत्ते, महुआ, नया मटका, इत्यादि. कृषक आज से खेतों कि जुताई, खेतों में नींदा प्रबंधन के उपाय, बीजों का संकलन, प्राकृतिक खाद को अपने खेतों में डालने का काम करेंगे. गांव वाले सिंचाई कि व्यवस्था के लिए नदी, नालों,तालाबों,बांधों में पानी एकत्रित करनें हेतू उपाय करेंगे. और बहुत सारे रुढ़ी प्रथा परम्परायें हैं, जिसमें आदिवासी समाज अपने को बांध कर रखे हैं. और इन्हीं से इसकी सामाजिक व्यवस्था बनीं हुईं हैं. और इसी से इसके समाज का विकास होता है.
इन्हीं परम्परा को हमनें तीन ग्राम मुड़पार, मोहंदा व ढेबा में जाकर वहा के ग्राम प्रमुखों व बैगा से चर्चा की.जिनमें ग्राम मुड़पार के बैगा नंदकुमार मरावी,जगत राम नेताम, ग्राम मोंहदा बैगा दरियाव सिंह, ग्राम ढेबा बैगा टिकेराम गोंड हैं. उन्होंने बताया कि पुरखों से चली आ रही इस रुढ़ी प्रथा पर आधारित इस तिहार में हम किसी तरह का छेड़छाड़ या बदलाव नहीं करेंगे. ऐसा करने पर हमें उस देव के कोप का सामना करना पड़ेगा, जो हम नहीं चाहते.
हर ग्राम के युवा अब रुढ़ी प्रथा पर आधारित ग्राम सभा में भाग ले रहें हैं, इस ग्राम सभा में हमें शामिल होकर शासन के योजनाओं से अवगत कराना होगा. जिससे यह ग्राम माॅडल ग्राम के रुप मे उभर सके.
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा