नक्सल कमांडर हिड़मा ने रची बीजापुर हमले की साजिश

जहाँ मुठभेड़ हुई वह इलाका हिड़मा का गाँव है| इसी हिड़मा की मांद में सुरक्षाबलों ने धावा बोला था| जहाँ 24 जवानों की शहादत हुई

0 68

- Advertisement -

बस्तर|  नक्सल कमांडर हिड़मा ने बीजापुर हमले की साजिश रची थी| उसने दो पहाड़ियों के बीच यू शेप में तीन तरफ से  एम्बुश लगा रखे थे| और  जवानों की टुकड़ी इस एंबुश में फंस गई।  इस दुर्दांत नक्सल कमांडर हिड़मा ने झीरम हमले की भी साजिश रची थी| छतीसगढ़ पुलिस ने उसके सर पर 50 लाख का इनाम रखा है|

बीजापुर में जहाँ मुठभेड़ हुई वह इलाका हिड़मा का गाँव है| इसी हिड़मा की मांद में सुरक्षाबलों ने धावा बोला था| जहाँ 24 जवानों की शहादत हुई है|

बस्तर के पत्रकार धर्मेन्द्र महापात्र ने पुलिस के खुफिया विभाग और नक्सल विरोधी ऑपरेशन में शामिल वरिष्ठ अफसरों के हवाले से बताया कि  मोस्ट वांटेड माओवादी नेता रमन्ना जिसके सिर पर 1.4 करोड़ रुपये का इनाम था| जिसकी मौत के बाद सुरक्षा बलों को अब उससे भी ज्यादा क्रूर और दुर्दांत नक्सली हिडमा से निपटना पड़ेगा|

बताया गया कि नक्सलियों द्वारा हमलों की योजना बनाने व उसे अंजाम देने की कमान हिडमा को दे दी जाती है|

लिहाजा हिडमा का रमन्ना की जगह लेना नक्सल विरोधी अभियान में लगे अन्य सुरक्षाबलों के लिए अच्छी खबर नहीं गई थी, लेकिन लगातार उसे ढूढ़ने और खत्म करने की लगातार कोशिशें होती रहीं, मगर फ़ोर्स को अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है|

कल हुई घटना में भी हिड़मा की तर्रेम इलाके में होने जानकारी पर ऑपरेशन लॉन्च किया गया था मगर इसमें फ़ोर्स को सफलता नहीं मिल पाई बल्कि जवान हिड़मा के ही बिछाए जाल में फंस गए|

नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति ने हिडमा को स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेसी) का प्रमुख बनाया और हिडमा को छत्तीसगढ़ के पूरे माओवादी बेल्ट में सुरक्षा बलों के खिलाफ हमलों की योजना बनाने और उसे अंजाम देने सैन्य कार्रवाई का जिम्मा सौंपा गया है|

कल हुई घटना में नक्सली टीसीओसी यानी टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैम्पेन(TCOC) के तहत यह हमला किया है| जिसमें उनका मकसद होता है कि ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा बलों पर हमला कर उन्हें नुकसान पहुँचाये। माड़ में इन दिनों यह जारी है|

- Advertisement -

टीसीओसी में अब तक के बड़े हमले

06 अप्रैल 2010 में ताड़मेटला हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत ।

25 मई 2013 झीरम घाटी हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी व जवान शहीद ।

11 मार्च 2014 को टहकवाड़ा हमले में 15 जवान शहीद ।

12 अप्रैल 2015 को दरभा में यदे एम्बुलेंस । 5 जवानों सहित ड्राइवर व एएमटी शहीद ।

मार्च 2017 में भेज्जी हमले में 11 सीआरपीएफ जवान शहीद ।

06 मई 2017 को सुकमा के कसालपाड़ में किया घात लगाकर हमला जिसमें 14 जवान शहीद ।

25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुरकापाल बेस केम्प के समीप किये नक्सली हमले में 32 सीआरपीएफ जवान शहीद ।

21 मार्च 2020 को सुकमा के मिनपा हमले में 17 जवानों की शहादत ।

23 मार्च 2021  को नारायणपुर में जवानो से भरी बस को उड़ाया|

Leave A Reply

Your email address will not be published.