इसी प्रकार, उर्वरक अनुदान पर वित्त वर्ष 2021-22 में 79,530 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के बजटीय अनुमान 71,309 करोड़ रुपये 8,221 करोड़ रुपये यानी 11.52 फीसदी अधिक है।
हालांकि पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से अगर तुलना करें तो खाद्य और उर्वरक दोनों अनुदानों में कटौती की गई है। कोरोना काल में मुफ्त अनाज वितरण योजना के चलते खाद्य अनुदान में पिछले वित्त वर्ष में बजटीय अनुमान के मुकाबले काफी इजाफा होने का अनुमान है। खाद्य अनुदान पर पिछले वर्ष 2020-21 का संशोधित अनुमान 4,22,618 करोड़ रुपये है, जोकि बीते वित्त वर्ष के बजट में खाद्य अनुदान के लिए किए गए प्रावधान के मुकाबले करीब 266 फीसदी अधिक है।
इसी प्रकार, पिछले वित्त वर्ष में उर्वरक अनुदान के लिए 71,309 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जबकि इसका संशोधित अनुमान 1,33,947 करोड़ रुपये है।
खाद्य अनुदान गरीबों से जुड़ा है, जबकि उर्वरक अनुदान का लाभ गावों के किसानों को मिलता है।
वहीं, पेट्रोलियम सब्सिडी (अनुदान) की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष के बजट में इस पर जहां 40,915 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया था, वहां आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में सिर्फ 12,995 करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार पिछले साल के बजट के मुकाबले पेट्रोलियम सब्सिडी में करीब 215 फीसदी की कटौती की गई है। पेट्रोलियम सब्सिडी में पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान 38,790 करोड़ रुपये से भी 198 फीसदी की कटौती की गई है।