भोग ही व्यक्ति का भोग करने लगा है
भोग ने व्यक्ति को पलायनवादी बना दिया है किंतु वह समझ नहीं पा रहा है कि सबसे तो भाग सकता है किंतु स्वयं से भाग कहां सकता है। भोग के क्षणिक उन्माद के पश्चात् जैसे ही पल मात्र के लिए उसका…
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