उपकार: जहां चिंतन की वाणी मौन
उपकार ही एक ऐसा भाव है जहां चिंतन की वाणी मौन हो जाती है तथा अन्तस व मानस समवेत स्वर में स्वीकारने लगता है कि उपकार व्याख्या का नहीं अपितु अनुभूति का विषय है।
उपकार: यदि व्यक्तित्व का…
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