अमृत महोत्सव : क्या ? कैसे ? किसके लिए ?
वाकई! लोकतंत्र सचमुच सो रहा है। यक्ष प्रश्न है। शायद! लोकतंत्र जागता रहता तो आज राजनीतिक पार्टियां लगातार जनता को बेवकूफ बनाती नहीं रहतीं। लोकतंत्र जागते रहता तो राजनीतिक दलों के नेतागण…
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