पुरी : पवित्र त्रिमूर्ति की बाहुड़ा यात्रा शुरू

पुरी में शनिवार को बहुड़ा यात्रा शुरू हो गई है। आज भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बहन गुंडिचा मंदिर में एक सप्ताह के प्रवास के बाद अपने निवास-श्रीमंदिर लौट रहे हैं।  वापसी यात्रा के दौरान काफी भीड़ देखने को मिल रहा है।

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पुरी। पुरी में शनिवार को बहुड़ा यात्रा शुरू हो गई है। आज भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बहन गुंडिचा मंदिर में एक सप्ताह के प्रवास के बाद अपने निवास-श्रीमंदिर लौट रहे हैं।  वापसी यात्रा के दौरान काफी भीड़ देखने को मिल रहा है।

बाहुड़ा जात्रा में भी ढाड़ी पहंडी में जुलूस निकलता है,जहाँ सभी देवता एक के बाद एक निकट क्रम में चलते हैं। भगवान सुदर्शन धार्मिक परंपरा के अनुसार औपचारिक जुलूस का नेतृत्व करते हैं। उसके बाद भगवान बलभद्र, फिर देवी सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ को उनके अस्थायी निवास से बाहर लाया जाता है।

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देवताओं को उनके रथों पर बिठाने के बाद, पुरी के गजपति महाराज द्वारा ‘छेरा पहंरा’ किया जाता है। इसके बाद रथों को उसी क्रम से खींचा जाता है, जैसे रथ यात्रा में होता है।

बतादें कि भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ सीधे श्रीमंदिर की ओर बढ़ते हैं। वह दोनों के रथ ‘सिंह द्वार’ के सामने खड़े होते हैं। उसके कुछ समय बाद श्री जगन्नाथ का रथ आता है। आने से कुछ समय पहले जगन्नाथ का रख अर्धसिनी मंदिर में रुकता है, जिसे मौसी माँ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वह चावल, नारियल, दाल और गुड़ से बनी एक विशेष मिठाई ‘पोड पीठा’ उन्हें अर्पित की जाती है।

इसके बाद, यह यात्रा फिर से शुरू किया जाता है। हालांकि ‘सिंह द्वार’ तक पहुंचने से पहले, यह पुरी के गजपति महाराजा के महल के सामने भी रुकता है जहां ‘लक्ष्मी-नारायण भेट’ नामक अनुष्ठान आयोजित किया जाता है। उसके बाद जगन्नाथ अपने दोनों भाई बहनों के साथ श्री मंदिर में प्रवेश करते हैं।

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