प्रेमचंद का साहित्य काल से संवाद करता है: डॉक्टर चितरंजन कर
| सुपरिचित भाषाविद् ,सहित्यकार,शिक्षाविद् डॉक्टर चितरंजन कर ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य काल से संवाद करता है इसीलिए उनकी रचनाएँ कालजयी हैं.वे "मुंशी प्रेमचंद जी का कथा साहित्य और हमारा समाज" विषय पर श्रृंखला साहित्य मंच द्वारा आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे.
पिथौरा| सुपरिचित भाषाविद् ,सहित्यकार,शिक्षाविद् डॉक्टर चितरंजन कर ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य काल से संवाद करता है इसीलिए उनकी रचनाएँ कालजयी हैं.वे “मुंशी प्रेमचंद जी का कथा साहित्य और हमारा समाज” विषय पर श्रृंखला साहित्य मंच द्वारा आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे.
स्थानीय डडसेना समाज धर्म शाला में मुंसी प्रेमचंद जयन्ती के अवसर पर काव्य गोष्टि आयोजित की गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार जी. आर. राणा थे. सुपरिचित भाषाविद् ,सहित्यकार,शिक्षाविद् डॉक्टर चितरंजन कर ने अध्यक्षता की .
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में दोपहर 2:00 बजे डॉक्टर चितरंजन कर ने गोष्ठी की शुरुआत करते हुए “मुंशी प्रेमचंद जी का कथा साहित्य और हमारा समाज” विषय पर अपना व्याख्यान दिया.व्याख्यान में उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य काल से संवाद करता है इसीलिए उनकी रचनाएँ कालजयी हैं.
मुख्य अतिथि जी . आर. राणा ने कहा की मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक परंपरा को श्रृंखला साहित्य मंच के सदस्य पिछले 34 वर्षों से लगातार आगे बढ़ा रहे हैं यह एक ऐतिहासिक और अनुकरणीय कार्य है.
गोष्ठी में श्रृंखला साहित्य मंच एवं क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से आए हुए रचनाकारों ने अपनी कहानियाँ – लघु कथाएँ – लघु व्यंग एवं कविताओं का पाठ किया.
रचना पाठ करने वालों में मुख्य अतिथि जी. आर. राणा, सुपरिचित साहित्यकार स्वराज्य ‘करुण’, सुप्रसिद्ध कहानीकार शिव शंकर पटनायक, अनूप दीक्षित, शिवा महंती, बंटी छत्तीसगढ़िया, माधव तिवारी, एफ. ए. नंद, शंकर गोयल, निर्वेश दीक्षित, संजय गोयल, अन्तर्यामी प्रधान,उत्तरा सिन्हा, श्रीमती माधुरी कर, गुरप्रीत कौर, जितेश्वरी साहू, सरोज साव, सहित अजय कुमार साहू (सरायपाली), हबीब समर (बागबाहरा), कुमार लोरिश (जगदीशपुर), एवं द्रोण साहू (साँकरा), प्रमुख प्रतिभागी थे.
दूसरे सत्र में संध्या 6:00 बजे श्रृंखला के सुप्रसिद्ध कवि/शायर प्रवीण ‘प्रवाह’ की गजलों पर केंद्रित ‘ग़ज़ल-प्रवाह’ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिसमें वरिष्ठ साहित्यकार और गायक डॉक्टर चितरंजन कर का सुमधुर गायन और सरायपाली के होनहार कलाकार डाँ. प्रदीप साहू का तबलावादन अत्यंत उच्च कोटि का था.
इस अवसर पर डॉक्टर चितरंजन कर ने पिथौरा के दिवंगत रचनाकार मधु धांधी की भी दो रचनाओं का गायन किया जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया. हारमोनियम और तबला के संगीत में प्रस्तुत इस कर्णप्रिय कार्यक्रम की श्रोताओं ने खूब तारीफ करते हुए इसे अभूतपूर्व बताया। आभार प्रदर्शन श्रृंखला के वरिष्ठ सदस्य शिवानन्द महन्ती ने किया.
इस अवसर पर श्रोता दीर्घा में अनन्त सिंह वर्मा, प्रेम लाल सिन्हा, अतुल प्रधान, श्रीमति तिलोतमा प्रधान, टिकेन्द्र प्रधान, पुनीत सिन्हा, राजू सिन्हा, लोकनाथ डड़सेना, मन्नू ठाकुर, जाकिर कुरैशी, जवाहर नायक (सांकरा), घनश्याम धांधी (खुटेरी), हेमंत डडसेना, प्रकाश श्रीवास्तव, रमेश दीक्षित, बीजू पटनायक, शम्मी छाबड़ा, विवेक दीक्षित, एवं दिनेश गोयल सहित बड़ी संख्या में गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में उमेश दीक्षित, एस के डी डड़सेना, दिनेश दीक्षित, कैलाश बंसल, संतोष गुप्ता सहित श्रृंखला साहित्य मंच के समस्त सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा.
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा