मौन होकर भी मुखर हो तुम, प्रथम स्पर्श प्यार हो तुम
नारी को सम्मान देने आज दुनिया महिला दिवस मना रही है , पर आप सोचें जीवन का हर पल उसके बिना संभव नहीं
तुम
90 के दशक में जब मैं अपने पीएच डी शोध प्रबंध हिंदी विशेषणों का अर्थपरक अध्ययन में जुटा था | विशेषणों से गुजरते आखिर सर्वनाम पर आकर रुक गया| इसे मेरे ब्लॉग http://viviksha.blogspot.in/search?updated-min=2008-01-01T00:00:00%2B05:30&updated-max=2009-01-01T00:00:00%2B05:30&max-results=16 पर भी पढ़ सकते हैं|
-डॉ. निर्मल कुमार साहू