बच्चों के लिए जुटे सरकारी स्कूलों के शिक्षक,अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन की पहल

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने स्वैच्छिक रूप से इस बार की छुट्टियों को सीखने सिखाने की गतिविधियों से बच्चों की दुनिया को रंगीन बनाने का निर्णय लिया है. और यह सब ग्रीष्म कालीन अवकाश के दरम्यान सीखने सिखाने शिविरों का आयोजन करेंगे. इन आयोजनों की तैयारी में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन इन शिक्षकों की मदद कर रही है.  

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रायपुर| सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने स्वैच्छिक रूप से इस बार की छुट्टियों को सीखने सिखाने की गतिविधियों से बच्चों की दुनिया को रंगीन बनाने का निर्णय लिया है. और यह सब ग्रीष्म कालीन अवकाश के दरम्यान सीखने सिखाने शिविरों का आयोजन करेंगे. और इन आयोजनों की तैयारी में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन इन शिक्षकों की मदद कर रही है.

गर्मी की छुट्टियाँ लगते ही शहर में तमाम तरह के समर कैंपो का आगाज हो जाता है. हरेक दिन का अखबार इस खबर से रंगीन रहता है कि कौन सा समर कैंप बच्चों के लिए कितना मनोरंजक और क्रियात्मकता से भरपूर है. इस रंगीन और संसाधनों एवं अवसरों  की सिमितिता की दुनिया में हमारे समाज का एक बड़ा तबका जिसके बच्चे सरकारी स्कूलो में जाते हैं, वह इस सुविधा से वंचित रह जाता है. ये बच्चे स्कूलो में छुट्टियाँ लगने के बाद या तो रिश्तेदारियों में अपना समय बिताते हैं या फिर अपने आस पास की गलियों में अपने लिए अवसर खोजते रहते हैं.

लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने वाला है क्योंकि सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने स्वैच्छिक रूप से इस बार की छुट्टियों को सीखने सिखाने की गतिविधियों से बच्चों की दुनिया को रंगीन बनाने का निर्णय लिया है. और यह सब ग्रीष्म कालीन अवकाश के दरम्यान सीखने सिखाने शिविरों का आयोजन करेंगे. और इन आयोजनों की तैयारी में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन इन शिक्षकों की मदद कर रही है.

अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन राज्य के 8 जिलों में काम कर रही है ( रायपुर, रायगढ़, बेमेतरा, धमतरी, बलौदाबज़ार, जांजगीर-चांपा, सरगुजा और जशपुर )  और इन जिलों में जिन शिक्षकों के साथ काम कर रहे हैं उनमें से कई शिक्षक अपने स्कूल में सीखना सिखाना केंद्र चलाने की तैयारी में जुट गए हैं. इस केंद्र में बच्चे न सिर्फ भाषा और गणित की गतिविधियों से रूबरू होंगे बल्कि संवैधानिक मूल्यों को भी इस सीखने -सिखाने की प्रक्रिया में जी रहे होंगे, जैसे- अपने दूसरे साथियों को सीखने में सहयोग करना, अपने साथी के बारे में उसकी परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील होना, सभी को समान अवसर के साथ सीखने के मौके मिलना, सभी बच्चों का सम्मान किया जाना आदि.

इसके अलावा ये शिक्षक न सिर्फ केंद्र चलाने के बारे में निर्णय लिये हैं बल्कि अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से तमाम उन गतिविधियों के लिए शिक्षण सहायक सामग्रियों का निर्माण भी कर रहे हैं जो बच्चों को भाषा और गणित विषय सीखने के बेसिक कौशलों को हासिल करने में सहयोग करें|

इन केन्द्रों के संचालन के निम्न  उद्देश्य हैं 

  • बच्चेमें बेसिक भाषायी एवं बुनियादी गणितीय कौशल को विकसित करने के लिए काम करना|
  • शिक्षकबच्चों की आवश्यकता अनुसार सीखने के अवसर दे सकेंगे.
  • शिक्षकों में बच्चों के स्तरनुसार गतिविधियों की शिक्षण सहायक सामग्री का निर्माण एवं उपयोग करने के तरीकों की समझ बनेगी
  • बच्चों को रचनात्मकतरीके एवं जोड़ तोड़ कर खुद से करते हुये सीखने के अवसर मिलेगें

लगभग सभी केन्द्रो का संचालन सुबह 8 बजे से 10 बजे तक किया जाएगा. केन्द्रो में भाषा एवं गणितीय कौशलों का विकास करने  के लिए तमाम तरीके के सहायक शिक्षण सामग्री का उपयोग करते हुये शिक्षक बच्चों को सीखने में सहयोग कर रहे होंगे. इस केंद्र में सीखने सिखाने की गतिविधियों के अलावा सर्किल समय में खेल, गीत, क्राफ्ट वर्क, आर्ट,क्ले वर्क जैसी गतिविधियां भी शामिल रहेगी.

और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इन केन्द्रों में किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं होगा और इसमें कोई भी बच्चा शामिल हो सकता है.

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इन तैयारियों में जुटे कुछ शिक्षकों से हमने बात की. प्राथमिक शाला गुड़ियारी  ब के शिक्षिका विजिया शर्मा का कहना है -“बच्चों की तीस अप्रैल के बाद छुट्टियाँ लग जाएगी तब मैं और अपनी स्कूल के नंदिनी वर्मा मैडम के साथ मिलकर हम बच्चों को के लिए ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन करने वाले हैं. इसमें हम बच्चों के भाषा और गणितिय विकास कौशल के लिए काम कर रहे हैं ताकि बच्चे छुट्टी के दौरान भी पढाई से जुड़े रहें और अन्य शैक्षिक और मनोरंजक गतिविधि भी होता रहे. हम इसके लिए अभी टीएलएम का निर्माण कर रहे हैं.”

देखें वीडियो 

वहीँ प्राथमिक शाला कोटा से आईं शिक्षिका श्रीमती आशा यादव का कहना है –“हम स्कूल के प्रांगण में सीखना सिखाना केंद्र चलाएंगे और इसमें आसपास के सभी बच्चों को शामिल करेंगे जो यहाँ आना चाहते हैं. इस बात को लेकर हमारे बच्चों में काफी उत्साह है.”

चंगोराभाटा प्राथमिक स्कूल से आईं शिक्षिका पल्लवी दीवान और पुष्पा भार्गव का कहना है की,-“हम जो यहाँ टीएलएम बना रहे हैं यह बच्चों के लिए आकर्षक होगा. हम गीत और संगीत के माध्यम से भी उनको कई गतिविधि में शामिल करेंगे जी से उन्हें निश्चित तौर पर यह मजेदार भी होगा और वह बहुत कुछ सीख भी पायेंगे.”

वहीँ प्राथमिक शाला, रामनगर से आईं टीचर शचि शर्मा, चंगोराभाटा पश्चिम से सविता ध्रुव और बरखा शर्मा का कहना है की यह न केवल बच्चों के के लिए बल्कि एक शिक्षक के रूप में हम सब के लिए भी एक महत्वपूर्ण सीख है और हम इसे निरंतरता में देख रहे हैं.

गौरतलब है की एक ओर जहाँ स्वैच्छिक सीखना सिखाना केन्द्रों की संचालन की तैयारी चल रही है वहीँ और कई शालाओं में अभी भी परीक्षाओं के खत्म होने के तुरंत बाद से इस तरह की शिविरों का संचालन किया जा रहा है जहाँ बच्चे बहुत  तादाद में काफी उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं.

अभी जिन स्कूलों में सीखना सिखाना केंद्र चल रहा है उनके कुछ नाम इस प्रकार हैं. महाराणा प्रताप स्कूल, नयापारा, प्राथमिकशाला, मोवा, प्राथमिकशाला सद्दू. प्राथमिक शाला, पंडरी, प्राथमिक शाला, खामारडीह, प्राथमिक शाला, शंकरनगर, प्राथमिक शाला, खमतराई, और डब्लू आर एस,.

देखें वीडियो 

रायपुर जिले के अलावा  अलावा राज्य के उन स्कूलों में भी इस तरह के समर कैंप चल रहा है जहाँ अज़ीम प्रेमजी कम कर रही है. जैसे धमतरी, रायगढ़, बेमेतरा, जांजगीर चांपा, बलौदा बाज़ार, सरगुजा और जशपुर में भी ग्रीष्मकालीन शिविर चल रहा है और आने वाले दिनों में स्वैच्छिक सीखना सिखाना केंद्र चलेगा.

 

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