आर्थिक समीक्षा 2021-22 : न साफ संकेत, न खास उम्मीदें
आज संसद में जो 2021-22 की जो आर्थिक समीक्षा पेश की गई है, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था की कोई साफ तस्वीर दिखाई नहीं देती है। अर्थव्यवस्था के बारे में कोई साफ संकेत नहीं हैं, न ही कोई उम्मीदें दिखती हैं। मसलन कहा जाना कि सब कुछ यानि महामारी, मानसून एवं वैष्विक हालात ठीकठाक रहेंगे तो अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं। इसका तात्पर्य यह है कि 2022-23 के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं बहुत सीमित हैं।
आज संसद में जो 2021-22 की जो आर्थिक समीक्षा पेश की गई है, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था की कोई साफ तस्वीर दिखाई नहीं देती है। अर्थव्यवस्था के बारे में कोई साफ संकेत नहीं हैं, न ही कोई उम्मीदें दिखती हैं। मसलन कहा जाना कि सब कुछ यानि महामारी, मानसून एवं वैष्विक हालात ठीकठाक रहेंगे तो अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं। इसका तात्पर्य यह है कि 2022-23 के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं बहुत सीमित हैं।– डॉ. लखन चौधरी
भारत नवंबर 2021 के अंत तक चीन, जापान और स्विटजरलैंड के बाद दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार धारक था। वैश्विक महामारी के व्यवधानों के बावजूद पिछले दो वर्षाे में भारत का भुगतान संतुलन सरप्लस में रहा है।
अर्थव्यवस्था की ’वी’ शेप रिकवरी का मतलब होता है कि अर्थव्यवस्था में सुधार तेजी से हो रहा है, या आने वाले दिनों में तेजी से होगा, जबकि ’के’ शेप रिकवरी का तात्पर्य यह है कि अर्थव्यवस्था में सुधार की दो दिशा एं हैं। एक दिशा या एक वर्ग ऐसा है जिसमें या जिसकी स्थिति में तेज गति से सुधार हो रहा है, जबकि दूसरे वर्ग की स्थिति में सुधार के बजाय गिरावट होने लगता है।
(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)
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