योग और स्वास्थ्य

आधुनिक मनुष्य के लिए योग-ध्यान बहुत ही जरूरी हो गया है. आज के आधुनिक दुनिया और जटिल जिंदगी में यदि आप मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो योग-ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है.

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आधुनिक मनुष्य के लिए योग-ध्यान बहुत ही जरूरी हो गया है. आज के आधुनिक दुनिया और जटिल जिंदगी में यदि आप मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो योग-ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है. आधुनिक युग में प्रायः हर आदमी जिंदगी की व्यस्तताओं, जटिलताओं, पर्यावरण प्रदूषण, शोरगुल तथा विभिन्न आधुनिक मशीनों से निकलने वाले सुक्ष्म तरंगों के प्रभाव से शारीरिक, मानसिक तनाव तथा थकान अनुभव करता है.  योग-ध्यान से इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है.

 

 

भारतीय मनीषियों ने सतत् चिन्तन, मनन और आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर मानव जीवन के कल्याण हेतु अनेक विधियाँ विकसित की हैं, उन विधियों में से एक है—‘योग’. योग वह विद्या है, जो हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाती है और असाध्य रोगों से बचाती है. यह हमें अपने लिए नहीं, बल्कि सबके लिए जीने का सन्देश देती है.

आधुनिक समाज की जीवनशैली लगातार नयी नयी बीमारियों को जन्म दे रही. आज हर घर में जीवनशैली से संम्बन्धित बीमारियों जैसे हाइपर टेंसन,मोटापा,डाइबिटीज,मनोरोग के मरीज मिल जाते है.  इन सबसे निजात पाने के लिए सबसे जरूरी है आहार विहार में परिवर्तन लाना.

आहार का सम्बन्ध भोजन से और विहार का सम्बन्ध हमारी जीवनशैली से है. स्वस्थ व्यक्ति के  स्वास्थ्य की रक्षा और रोगी के रोग के उपचार हेतु आहार विहार का बहुत बड़ा योगदान है. यदि हम वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के स्वास्थ्य की परिभाषा देखे तो कोई व्यक्ति तब ही स्वस्थ कहलायेगा जब वह शारीरिक ,मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ है और इस परिभाषा को पूर्णता प्रदान करता है “योग”. योग हमे सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ही नही प्रदान करता बल्कि आध्यात्मिक स्वाथ्य भी प्रदान करता है।

योग

योग’ शब्द का अर्थ है- समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध.

महर्षि पतंजलि ने योग को चित्तवृत्ति निरोध कहा है यानी यदि हम मन की चंचलता या गतिविधियों को स्थिर कर सकते हैं, तो योग की स्थिति को प्राप्त कर सकते.

योग वास्तव में किसी धर्म संप्रदाय की चीज नहीं बल्कि शुद्ध रूप से एक विश्व विज्ञान की तरह मानव विज्ञान है. खासकर पतंजलि योग पूरी तरह वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित है. जो हजारों साल से विज्ञान की तरह प्रमाणित होने के कारण इसे आज भी प्रमाणित करके देखा जा सकता है. इसलिए यह सब के लिए बहुउपयोगी है.

योग के प्रकार

योग के अनेक भाग माने जाते हैं—राजयोग, हठयोग, कुंडलिनीयोग, नादयोग, सिद्धयोग, बुद्धियोग, लययोग, शिवयोग, ध्यानयोग, समाधियोग, सांख्ययोग, मृत्युंजययोग, प्रेमयोग, विरहयोग, भृगुयोग, ऋजुयोग, तारकयोग, मंत्रयोग, जपयोग, प्रणवयोग, स्वरयोग आदि. पर मुख्यत: अध्यात्म के हिसाब से तीन ही योग माने गए हैं—कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग.

योग के आठ अंग हैं:

1.यम (पांच “परिहार”): सत्य,अहिंसा,अस्तेय,ब्रम्हचर्य,अपरिग्रह

2.नियम (पांच “धार्मिक क्रिया”): शौच,संतोष,तप,स्वाध्याय,ईश्वरप्रणिधन

3.आसन:मूलार्थक अर्थ “बैठने का आसन” और पतंजलि सूत्र में ध्यान

4.प्राणायाम (“सांस को स्थगित रखना”): प्राण, सांस, “अयाम “, को नियंत्रित करना या बंद करना। साथ ही जीवन शक्ति को नियंत्रण करने की व्याख्या की गयी है.

5.प्रत्यहार (“अमूर्त”):इंद्रियों को अपने विषयो से पृथक कर मन में केंद्रित करने के अभ्यास को प्रत्याहार कहते है.

6.धारणा (“एकाग्रता”): एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना.

7.ध्यान (“ध्यान”):ध्यान की वस्तु की प्रकृति गहन चिंतन.

8.समाधि(“विमुक्ति”):ध्यान के वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना. यह योग पद्धति की चरम अवस्था है.

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भारत में योगाभ्यास की परंपरा तकरीबन 5000 साल पुरानी है. योग को शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य का अद्भुत विज्ञान माना जाता है. इस प्राचीन पद्धति के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 21 जून को इंटरनेशनल योग दिवस मनाया जाता है.  इसकी शुरुआत 2015 में हुई थी. यूं तो योग से अपना नाता जोड़ने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं है, मगर आज हम आपको बता रहे हैं क्यों 21 जून को International Yoga Day मनाया जाता है.

21 जून को ही योग दिवस क्यों

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने संबोधन के दौरान कहा कि यही वो दिन है जब उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लंबा दिन होता है. इस दिन सूर्य जल्दी उगता है और सबसे देर में सूर्यास्त होता है. इसके अलावा भारत में 21 जून ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन भी होता है.

11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की. इसके बाद 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए योग के महत्व पर चर्चा की थी.

योग और आयुर्वेद

योग और आयुर्वेद के प्रयोजन को पूर्ण करने का मूल साधन है।आयुर्वेद में स्वस्थ व्यक्ति की परिभाषा इस प्रकार बताई है-

“समदोषः समाग्निश्च समधातु मलक्रियाः।

प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थः इत्यभिधीयते ॥”

अर्थात जिस व्यक्ति के दोष (वात, कफ और पित्त) समान हों, अग्नि सम हो, सात धातुयें भी सम हों, तथा मल भी सम हो, शरीर की सभी क्रियायें समान क्रिया करें, इसके अलावा मन, सभी इंद्रियाँ तथा आत्मा प्रसन्न हो, वह मनुष्य स्वस्थ कहलाता है ). यहाँ ‘सम’ का अर्थ ‘संतुलित’ ( न बहुत अधिक न बहुत कम) है.

बहुत से रोगों से योग आसनों और प्राणायाम के माध्यम से बचा जा सकता है।जैसे-

शवासन-उच्चरक्तचाप,मनोविकार,अनिद्रा

वज्रासन-भोजन के पश्च्यात करने वाला आसान है जो पाचनतंत्र के लिए लाभकारी है.

सिंहासन-जिव्हा,कंठ,श्वासगत रोगों में

सर्वांगासन- थायरॉइड ग्रन्थि विकार,अनिद्रा,अतिनिद्रा,अवसाद,स्मृतिशक्ति वर्धक

पवनमुक्तासन- मोटापा,मधुमेह,हायपरटेंसन

चक्रासन-कटिशूल

आधुनिक मनुष्य के लिए योग-ध्यान बहुत ही जरूरी हो गया है. आज के आधुनिक दुनिया और जटिल जिंदगी में यदि आप मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो योग-ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है.

आधुनिक युग में प्रायः हर आदमी जिंदगी की व्यस्तताओं, जटिलताओं, पर्यावरण प्रदूषण, शोरगुल तथा विभिन्न आधुनिक मशीनों से निकलने वाले सुक्ष्म तरंगों के प्रभाव से शारीरिक, मानसिक तनाव तथा थकान अनुभव करता है.  योग-ध्यान से इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है.

निरंतर योग-ध्यान करते रहने से शरीर-मस्तिष्क में नई सकारात्मक उर्जा का संचार होता है. जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता में सहयोगी है. योग-ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति,जीवन्तता का संचार होता है. जिससे शरीर स्वस्थ, सबल महसूस होता है. शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है.

(डॉ सुष्मिता गुंबर, चिकित्सा अधिकारी (आयुष ) जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़)

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