निजी क्षेत्र के प्रोत्साहन हेतु अनुदान ठीक, मगर मुफ्त ईलाज की शर्त पर
छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधाओं को बढ़ाने एवं बेहतर बनाने के लिए राज्य में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर स्वास्थ्य ढ़ांचा विकसित करने की योजना पर काम करने की मंशा बना चुकी है। इसके लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पताल खोलने पर सरकारी अनुदान देगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को अनुदान प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। इस फैसले या मसले पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की असहमति की बात सामने आ रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधाओं को बढ़ाने एवं बेहतर बनाने के लिए राज्य में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर स्वास्थ्य ढ़ांचा विकसित करने की योजना पर काम करने की मंशा बना चुकी है। इसके लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पताल खोलने पर सरकारी अनुदान देगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को अनुदान प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। इस फैसले या मसले पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की असहमति की बात सामने आ रही है।
-डाॅ. लखन चौधरी
छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधाओं को बढ़ाने एवं बेहतर बनाने के लिए राज्य में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर स्वास्थ्य ढ़ांचा विकसित करने की योजना पर काम करने की मंशा बना चुकी है। इसके लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पताल खोलने पर सरकारी अनुदान देगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को अनुदान प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। इस फैसले या मसले पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की असहमति की बात सामने आ रही है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने ग्रामीण इलाक़ों में प्राइवेट अस्पतालों को अनुदान देने का फ़ैसला किया है.
राज्य के स्वस्थ्य मंत्री ने इसका विरोध किया है.
स्वास्थ्य विभाग के कई फ़ैसले और बैठक सीएम करते रहे हैं और मंत्री को खबर तक नहीं होती.
लेकिन लगता है 2.5 साल में मौसम बदल रहा है. pic.twitter.com/1kOhMClf5c
— Alok Putul (@thealokputul) June 29, 2021
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि ’सरकारी तंत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए पैसों की कमी आड़े आती है। इसके लिए सरकार को निजी क्षेत्र का सहयोग करना चाहिए, मगर इस शर्त के साथ कि सरकारी अनुदान लेने वाले अस्पताल लोगों का निःशुल्क या मुफ्त ईलाज करेंगे।’
स्वास्थ्य मंत्री के इस बात में दम है कि सरकारी अनुदान लेने वाले अस्पताल, यदि सामान्य निजी अस्पतालों की तरह ईलाज का भारी-भरकम खर्च आम लोगों से लेंगे तो फिर सरकारी अनुदान का औचित्य क्या रह जायेगा ? सवाल उठना स्वाभाविक है कि सरकारी अनुदान यानि जनता के पैसे से आधारभूत ढ़ांचा खड़ा करने के बाद जनता से ही ईलाज का खर्च वसूलने की योजना कितनी सही या जायज है ?
वर्तमान में विशेष तौर पर कोरोना महामारी के ईलाज में निजी अस्पतालों की जिस तरह की मनमानी एवं लूटखसोट सामने आई है, इससे तो निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी एवं जवाबदेही पर सवाल खड़ा करना जायज है। वहीं इन्हीं निजी हाथों को बाकायदा सरकारी अनुदान देकर खड़ा करना, जनता के साथ विश्वासघात ही होगा।
उचित यह होगा कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करे। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की इस बात में दम है कि ’यूनिवर्सल हेल्थ केयर’ के माध्यम से संपूर्णं स्वास्थ्य सुविधा सरकारी खर्च पर यानि नागरिकों के लिए पूरी तरह निःशुल्क एवं मुफ्त होनी चाहिए। यह नागरिकों का केवल अधिकार एवं हक ही नहीं है, बल्कि यह सरकार का दायित्व भी है।
(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)
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