पहले से ज्यादा खतरनाक वैरिएंट में बदल चुका है डेल्टा वैरिएंट
कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह तबाही मचाई है, उसके बाद आई एक और खबर ने सभी को चिंतित कर दिया है। कोरोना की दूसरी लहर में देश में तबाही मचाने वाला डेल्टा वैरिएंट जिसे बी1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है, पहले से ज्यादा खतरनाक वैरिएंट में बदल चुका है। इस बदले वैरिएंट को डेल्टा प्लस या फिर एवाई.1 कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों को आशंका है कि कोरोना मरीजों को दी जा रही मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल का भी असर इस वैरिएंट पर नहीं होगा।
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कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह तबाही मचाई है, उसके बाद आई एक और खबर ने सभी को चिंतित कर दिया है। कोरोना की दूसरी लहर में देश में तबाही मचाने वाला डेल्टा वैरिएंट जिसे बी1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है, पहले से ज्यादा खतरनाक वैरिएंट में बदल चुका है। इस बदले वैरिएंट को डेल्टा प्लस या फिर एवाई.1 कहा जा रहा है।
वैज्ञानिकों को आशंका है कि कोरोना मरीजों को दी जा रही मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल का भी असर इस वैरिएंट पर नहीं होगा।
नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य, डॉ वीके पॉल के मुताबिक दूसरी लहर में कोरोना के डेल्टा संस्करण ने प्रमुख भूमिका निभाई। इस संस्करण का एक अतिरिक्त उत्परिवर्तन, जिसे डेल्टा प्लस के रूप में जाना जाता है, का पता लगाया गया है और वैश्विक डेटा सिस्टम को प्रस्तुत किया गया है।
Delta variant played major role in 2nd wave. An additional mutation of this variant, known as Delta Plus, has been detected & submitted to global data system. It has been seen in Europe since March & was brought into public domain on June 13: Dr VK Paul, Member-Health, Niti Aayog pic.twitter.com/RrTwr0cxy0
— ANI (@ANI) June 15, 2021
इसे मार्च से यूरोप में देखा गया है और 13 जून को सार्वजनिक डोमेन में लाया गया था|
डॉ वीके पॉल के मुताबिक यह (डेल्टा प्लस) अभी तक चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।
सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यह संस्करण मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के उपयोग को समाप्त करता है। हम इस संस्करण के बारे में और अधिक अध्ययन करेंगे और सीखेंगे|
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में देश में तबाही मचाने वाला डेल्टा वैरिएंट जिसे बी1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है, पहले से ज्यादा खतरनाक वैरिएंट में बदल चुका है। इस बदले वैरिएंट को डेल्टा प्लस या फिर एवाई.1 कहा जा रहा है|
कोरोना मरीजों को दी जा रही मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल का भी असर इस वैरिएंट पर नहीं होगा।
ब्रिटेन की स्वास्थ्य संस्था पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट के 63 जीनोम नए K417N म्यूटेशन के साथ सामने आए हैं। पीएचई को डेल्टा वैरिएंट में बदलावों की रुटीन जांच के दौरान डेल्टा प्लस का पता चला।
हालिया रिपोर्ट के मुताबित, भारत में सात जून तक कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट के 6 केस सामने आ चुके थे।
क्या है मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल ?
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल एक दवा है, जो कोरोना के इलाज में प्रयोग की जाती है। हालांकि, इसका इलाज तब ही किया जाता है, जब मरीज की हालत बेहद क्रिटिकल स्टेज पर हो। इस दवा को फार्मा कंपनी सिप्ला और रोश इंडिया मिलकर बनाती है। भारत में इसे कोरोना के इलाज के इमरजेंसी यूज के लिए मई में मंजूरी मिली थी। इस दवा को अमेरिका और यूरोपियन यूनियन देशों में इमरजेंसी यूज के लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) से अप्रूवल मिला है।