अहमदाबाद | टोसिलिजुमेब इंजेक्शन कोरोना संक्रमण के इलाज में कारगर माना जाता है| अब यह इसका भी नकली इंजेक्शन बाज़ार में पहुच गया है| गुजरात में नकली टोसिलिजुमेब इंजेक्शन लगाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई| गुजरात में नकली इंजेक्शन बनाने के धंधे में लगे पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है|
गुजरात सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया कि अहमदाबाद के जिस मरीज को नकली टोसिलिजुमेब इंजेक्शन दिया गया था, उसकी बाद में मौत हो गई।
एक विधायक के सवाल का उत्तर देते स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने कहा कि खाद्य और औषधि नियंत्रण प्राधिकरण (एफडीसीए) ने नकली टॉसिलिजुमेब इंजेक्शन के निर्माण में शामिल पांच लोगों को पकड़ा था, उन्हें 27 जुलाई, 2020 को गिरफ्तार किया गया। नकली इंजेक्शन बनाने वालों ने 250 मिलीग्राम नकली दवा से एक मिलीग्राम की 30 शीशियां तैयार की थीं।
मंत्री के मुताबिक नकली दवा की सभी 30 शीशियां अहमदाबाद जिले में बेची गई थीं। उसमें से केवल एक शीशी अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में एक महिला मरीज को दी गई।
मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक लताबेन बाल्दुआ नामक बुजुर्ग मरीज कई जटिल बीमारियों से पीड़ित रोगी थी। उसे निजी अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी और बाद में उसकी मौत हो गई।
इंजेक्शन मरीज के रिश्तेदार ने मंगवाया था। इंजेक्शन अहमदाबाद के साबरमती में मेसर्स मां फार्मेसी से कथित तौर पर 1,35,000 रुपये में खरीदा गया था।
इलाज के दौरान डाक्टर को शक हुआ, इसके बाद एफडीसीए से इस इंजेक्शन के बारे में शिकायत की गई थी।
एफडीसीए ने सूरत में एक घर पर छापा मारा और 8 लाख रुपये की कीमत की फिलिंग और सीलिंग मशीन, एक कोडिंग मशीन, कच्चा माल, पैकेजिंग सामग्री जब्त की।
बताया गया कि गुजरात एफडीसीए ने पिछले साल जुलाई में सूरत परिसर से 8 लाख रुपये मूल्य की मशीनरी और कच्चे माल जब्त कर नकली टोसीलिजुमेब इंजेक्शन के निर्माण और बिक्री के रैकेट का खुलासा किया था।