अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप 2 अप्रैल से लगाएंगे नए टैरिफ, ‘मुक्ति दिवस’ का किया ऐलान

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से नए टैरिफ लागू करने की घोषणा की है, जिसे वे अमेरिका के लिए “मुक्ति दिवस” कह रहे हैं. ये टैरिफ उन देशों पर निशाना साधेंगे जो अमेरिकी सामानों पर भारी शुल्क लगाते हैं या ऐसी व्यापार नीतियां अपनाते हैं, जिन्हें व्हाइट हाउस अनुचित मानता है.

हालांकि टैरिफ की पूरी जानकारी अभी सामने नहीं आई है, लेकिन कुछ देशों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है. ट्रंप प्रशासन का मानना है कि मौजूदा व्यापार नियम अमेरिका के खिलाफ अन्य देशों को फायदा पहुंचाते हैं. नए टैरिफ को इसी समस्या का जवाब माना जा रहा है.

अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कुछ देशों को “डर्टी 15” करार दिया. उन्होंने कहा कि ये देश अमेरिका के 15% व्यापारिक साझेदार हैं, जो अमेरिकी सामानों पर ऊंचे टैरिफ और व्यापारिक रुकावटें लगाते हैं. बेसेंट ने इन देशों के नाम नहीं बताए, लेकिन अमेरिकी वाणिज्य विभाग की 2024 की व्यापार घाटा रिपोर्ट से कुछ संकेत मिलते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के साथ सबसे ज्यादा व्यापार घाटे वाले देश हैं: चीन, यूरोपीय संघ, मैक्सिको, वियतनाम, आयरलैंड, जर्मनी, ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा, भारत, थाईलैंड, इटली, स्विट्जरलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया. ये देश अमेरिका के व्यापार असंतुलन में बड़ी भूमिका निभाते हैं और नए टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं.

इसके अलावा, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (यूएसटीआर) ने 21 देशों की सूची भी जारी की है, जिनकी व्यापार नीतियों को अनुचित माना गया है. इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, स्विट्जरलैंड, ताइवान, थाईलैंड, टर्की, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम शामिल हैं. “डर्टी 15” पर मुख्य ध्यान होने के बावजूद, ट्रंप के हालिया बयानों से लगता है कि और भी देश इन व्यापारिक कदमों की चपेट में आ सकते हैं.

नए टैरिफ क्या होंगे?

ये टैरिफ देश और उद्योग के हिसाब से अलग-अलग होंगे. ट्रंप पहले भी स्टील और एल्यूमिनियम पर व्यापक टैरिफ, विदेशी ऑटोमोबाइल पर शुल्क और चीनी सामानों पर लक्षित टैरिफ लगा चुके हैं. नए व्यापारिक कदमों में शामिल हो सकते हैं:

  • फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों पर अतिरिक्त शुल्क
  • ऑटोमोबाइल और स्पेयर पार्ट्स के आयात पर ऊंचे टैरिफ, जो 4 अप्रैल से लागू होंगे
  • उन देशों से निर्मित सामानों पर बढ़ी हुई व्यापारिक रुकावटें, जिनका अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार अधिशेष है.
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