नई दिल्ली| प्रधानमंत्री ने आज इस तथ्य पर अफसोस जताया कि इतिहास के पन्नों में चौरी चौरा के शहीदों को यथोचित प्रमुखता नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि जिन शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं उनकी दास्तान राष्ट्र के समक्ष रखने के हमारे प्रयास उन्हें वास्तविक श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि यह उस वर्ष में सबसे अधिक प्रासंगिक है जब देश आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है।
श्री मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के चौरी चौरा में ‘चौरी चौरा’शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चौरी चौरा के शहीदों की उतनी चर्चा नहीं की जाती जितनी होनी चाहिए थी। चौरी चौरा आम आदमी का आत्म-प्रेरित संघर्ष था। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “भले ही इतिहास के पन्नों में इस संघर्ष के क्रांतिकारियों को यथोचित प्रमुखता नहीं दी गई थी, लेकिन इस देश की मिट्टी में खून मिला हुआ है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में एक भी प्रकरण ऐसा देखना दुर्लभ है जहां 19 स्वतंत्रता सेनानियों को एक घटना के लिए फांसी दे दी गई थी। श्री मोदी ने बाबा राघवदास और पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासों को याद किया जिन्होंने लगभग 150 लोगों को फांसी के तख्त पर झूलने से बचाया था।
प्रधानमंत्री ने खुशी व्यक्त की कि पूरा अभियान स्वतंत्रता संग्राम के कम ज्ञात पहलुओं का पता लगाने के प्रयास में छात्रों और युवाओं को जोड़ रहा है। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों पर किताबें लिखने के लिए युवा लेखकों के शिक्षा मंत्रालय के निमंत्रण का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि चौरी चौरा के कई स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन को देश के सामने लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है कि ये ‘चौरी चौरा’ शताब्दी समारोह स्थानीय कला और संस्कृति और आत्मेनिर्भर भारत से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना की।