दक्षिण अफ्रीका में मिला टीके को भी मात देने वाला कोरोना का सबसे घातक वैरिएंट : अध्ययन
महामारी कोविड-19 के प्रकोप से लोग अभी पूरी तरह नहीं उबरे और उसके नए-नए घातक स्वरूपों को लेकर खौप का माहौल है। अब नया वरिएंट दुनियाभर के लिए चिंता का सबब बनकर उभरा है।
नई दिल्ली । महामारी कोविड-19 के प्रकोप से लोग अभी पूरी तरह नहीं उबरे और उसके नए-नए घातक स्वरूपों को लेकर खौप का माहौल है। अब नया वरिएंट दुनियाभर के लिए चिंता का सबब बनकर उभरा है।
सी.1.2 नाम का ये वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका में मिला है। इस वैरिएंट पर हुई एक स्टडी में दावा किया गया है कि ये दुनियाभर में फैल सकता है और मौजूदा सभी कोरोना वैक्सीन को चकमा दे सकने में सक्षम है।
दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीआईडी) की स्टडी में सामने आया है कि ये वैरिएंट पहले के सभी वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक हो सकता है।
ये वैरिएंट सबसे पहले अफ्रीका में बीते मई महीने में पाया गया था। इसके बाद से अब तक इस वैरिएंट के मरीज चीन, कांगो, मॉरिशस, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, पुर्तगान और स्विट्जरलैंड में मिल चुके हैं।
एनसीआईडी की इस स्टडी का अभी पीयर रिव्यू किया जाना बाकी है। स्टडी में कहा गया है कि दक्षिण अफ्रीका में महामारी की पहली लहर में मिला सी.1 वैरिएंट ही म्यूटेट होकर अब सी.1.2 बन गया है।
अफ्रीका में बीते साल मिले वैरिएंट को दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट के नाम से जाना जा रहा था। बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका नामकरण किया था।
इससे पहले एक बड़ी स्टडी में यह भी दावा किया गया है कि कोरोना मरीजों के बनीं अधिक एंटीबॉडी भविष्य में मददगार साबित हो सकती हैं।
ऐसे लोग जो कोरोना के गंभीर संक्रमण से जूझ चुके हैं या लम्बे समय तक बीमार रहे हैं उनमें एंटीबॉडीज ज्यादा बनी हैं। यह दावा एक रिसर्च में किया गया है।
रिसर्च के मुताबिक, कोरोना के गंभीर संक्रमण से जूझने वाले मरीजों में जो अधिक एंटीबॉडीज बनीं है वो भविष्य में इन्हें री-इंफेक्शन से बचाएंगी।