म्यांमार: म्यांमार में 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप के एक दिन बाद राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं. देश की सैन्य सरकार ने दावा किया है कि मृतकों की संख्या 1,000 को पार कर गई है, जबकि 1,600 से अधिक लोग घायल हुए हैं. दूसरी ओर, यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने चेतावनी दी है कि इस भूकंप से भारी जनहानि और व्यापक क्षति हुई हो सकती है, और मृतकों का आंकड़ा 10,000 से अधिक हो सकता है.
मांडले, जो म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर और भूकंप का केंद्र था, वहां बचावकर्मी मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. इस संकट के बीच भारत ने म्यांमार की मदद के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू कर तत्काल सहायता पहुंचाई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, “कल के विनाशकारी भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए भारत पहला सहायता प्रदाता बना है.” भारत ने 15 टन राहत सामग्री की पहली खेप म्यांमार भेजी है, जिसमें तंबू, स्लीपिंग बैग, कंबल, तैयार भोजन और जनरेटर सेट जैसी जरूरी चीजें शामिल हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक्स पर बताया कि यह सहायता यांगून हवाई अड्डे पर पहुंच गई है.
भूकंप की तीव्रता इतनी थी कि 900 किलोमीटर दूर बैंकॉक में भी इसका असर महसूस हुआ. कई ऐतिहासिक इमारतें और पुल ढह गए. एक बचे हुए व्यक्ति ने बीबीसी को बताया कि वह बाथरूम में था जब भूकंप आया. भागकर दूसरी इमारत में शरण लेने की कोशिश में दूसरा झटका लगा, जिससे वह इमारत भी गिर गई. उसके कई परिजन अभी लापता हैं.
भूकंप के एक दिन बाद की स्थिति: थाईलैंड सरकार ने बैंकॉक में आपातकाल घोषित किया है, जहां एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत गिरने से 10 लोगों की मौत हुई और 100 मजदूर लापता हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने USAID के बजट में कटौती की घोषणा के बावजूद म्यांमार को मदद का वादा किया है. म्यांमार में बिजली और पानी की भारी किल्लत हो रही है. सैन्य सरकार के प्रमुख मिन आंग हलिंग ने सभी देशों से सहायता की अपील की है. चीन और रूस ने भी राहत सामग्री और बचाव दल भेजे हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, म्यांमार सक्रिय सागाइंग फॉल्ट लाइन पर स्थित होने के कारण भूकंप के लिए संवेदनशील है. इससे पहले 1946 में 7.7 और 2012 में 6.8 तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं.