रतन टाटा ने छोड़ी 3,800 करोड़ की संपत्ति, चैरिटी के लिए भारी योगदान

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मुंबई: रतन टाटा, जिनका नाम परोपकार के साथ उतना ही जुड़ा है जितना समुद्र से नमक, ने अपनी वसीयत के जरिए एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी विरासत में उदारता सबसे ऊपर है. 9 अक्टूबर, 2024 को दुनिया को अलविदा कहने वाले इस उद्योगपति ने अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा चैरिटी को समर्पित किया, लेकिन अपने परिवार, दोस्तों, कर्मचारियों और प्यारे पालतू जानवरों को भी नहीं भूले. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी वसीयत में परोपकार को प्राथमिकता दी गई है.

23 फरवरी, 2022 को हस्ताक्षरित उनकी वसीयत में एक सख्त शर्त भी शामिल है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई उनकी वसीयत को चुनौती देता है, तो उसे संपत्ति में किसी भी तरह का अधिकार या लाभ नहीं मिलेगा. द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, वसीयत में लिखा है, “ऐसा व्यक्ति मेरे किसी भी संपत्ति पर कोई हक नहीं रखेगा.”

संपत्ति का बड़ा हिस्सा चैरिटी के नाम

रतन टाटा ने अपनी अनुमानित 3,800 करोड़ रुपये की संपत्ति का बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को दिया है. ये दोनों संगठन परोपकारी कार्यों के लिए इन फंड्स का इस्तेमाल करेंगे. टाटा संस में उनकी हिस्सेदारी के अलावा, उन्होंने अन्य स्टॉक्स, वित्तीय साधनों और प्रॉपर्टी में भी निवेश किया था. वसीयत में चार कॉडिसिल (संशोधन दस्तावेज) शामिल हैं, और अंतिम कॉडिसिल के अनुसार, कोई भी बची हुई हिस्सेदारी, निवेश या संपत्ति इन चैरिटेबल ट्रस्टों को मिलेगी.

परिवार और करीबियों को भी हिस्सा

चैरिटी के साथ-साथ टाटा ने अपनी अन्य संपत्तियों का एक-तिहाई हिस्सा, जिसमें 800 करोड़ रुपये के बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, स्टॉक्स और कीमती सामान शामिल हैं, अपनी सौतेली बहनों शिरीन जहांगीर जीजीभॉय और डियाना जीजीभॉय को दिया. इसी संपत्ति का एक-तिहाई हिस्सा उनकी करीबी सहयोगी और टाटा ग्रुप की पूर्व कर्मचारी मोहिनी एम दत्ता को मिलेगा.

उनके 82 वर्षीय भाई जिमी नवल टाटा को जुहू स्थित बंगले का हिस्सा, चांदी के सामान और कुछ जेवरात दिए गए हैं. करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री को अलीबाग की संपत्ति और तीन बंदूकें, जिसमें एक .25 बोर पिस्तौल शामिल है, दी गई हैं. वसीयत में कहा गया है कि मिस्त्री ने इस प्रॉपर्टी को संभव बनाने में मदद की थी और टाटा को उम्मीद है कि यह उन्हें साथ बिताए सुखद पलों की याद दिलाएगी.

पालतू जानवरों और स्टाफ के लिए खास इंतजाम

टाटा का जानवरों के प्रति प्रेम जगजाहिर था. उनकी वसीयत में अपने पालतू जानवरों के लिए 12 लाख रुपये का फंड रखा गया है, ताकि हर तिमाही में प्रत्येक को 30,000 रुपये उनकी देखभाल के लिए मिलें. इसके अलावा, उन्होंने कुछ लोगों के कर्ज माफ किए. उनके कार्यकारी सहायक शांतनु नायडू का छात्र ऋण और पड़ोसी जेक मलाइट का ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण अब माफ कर दिया गया है.

विदेशी संपत्ति और लग्जरी घड़ियां

कोर्ट दस्तावेजों के अनुसार, टाटा की विदेशी संपत्ति की कीमत करीब 40 करोड़ रुपये है. इसमें सेशेल्स में जमीन, वेल्स फार्गो और मॉर्गन स्टेनली के बैंक खाते, अल्कोआ कॉर्प और हाउमेट एयरोस्पेस के शेयर शामिल हैं. उनकी निजी लग्जरी घड़ियों का संग्रह भी वसीयत का हिस्सा है, जिसमें बुल्गारी, पाटेक फिलिप, टिसोट और ऑडेमार्स पिगुएट जैसे ब्रांड की 65 घड़ियां हैं. सेशेल्स की जमीन को आरएनटी असोसिएट्स सिंगापुर को दिया गया है, जो उनके कारोबारी हितों से जुड़ी कंपनी है.

वसीयत को लागू करने की जिम्मेदारी वकील डेरियस कंबाटा, मेहली मिस्त्री, शिरीन और डियाना जीजीभॉय को सौंपी गई है. उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में वसीयत को प्रमाणित करने के लिए याचिका दायर की है. इस प्रक्रिया में छह महीने तक का समय लग सकता है.

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