यूपी : बसपा चारों खाने चित, अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन

यूपी में 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज बसपा इस विधानसभा चुनाव में  चारों खाने चित हो गई | दलित-केंद्रित पार्टी में सबसे अधिक दिखाई देने वाला चेहरा एक ब्राह्मण था।जिसने  अब तक का अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया है।

0 67

- Advertisement -

नई दिल्ली| यूपी में 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज बसपा इस विधानसभा चुनाव में  चारों खाने चित हो गई | दलित-केंद्रित पार्टी में सबसे अधिक दिखाई देने वाला चेहरा एक ब्राह्मण था।जिसने  अब तक का अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया है।

 

 मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक बसपा इस चुनाव में अपने दलित वोटरों को भी नहीं सहेज पाई।  इसी वोटर के दम पर बसपा सत्ता में या तो शामिल होती रही है या चुनाव परिणाम प्रभावित करती रही है। इस बार लगभग पचास प्रतिशत तक इस वोट बैंक में सेंध लगी। अधिकतर सीटों पर यह वोट भाजपा की ओर ट्रांसफर हुआ जबकि कुछ सीटों पर सपा गठबंधन की तरफ गया।  पहले से ही बसपा की कमजोर स्थिति ने इस वोटर को दूसरी तरफ जाने के लिए मजबूर कर दिया।
वर्ष 2007 में उसने पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल की थी। जिसे देखते इस बार भी 60  से ज्यादा ब्राह्मणों और इससे ज्यादा मुस्लिमों को टिकट दिए।  पर जहाँ  ब्राह्मणों ने कोई खास रुचि नहीं दिखाई। वहीँ मुस्लिमों ने सपा का  रुख किया।

बसपा  एक नजर

  • वर्ष 1989- 13 सीटें
  • वर्ष 1991 – 12 सीटें
  • वर्ष 1993 –67 सीटें
  • वर्ष 1996 -67 सीटें
  • वर्ष 2002 -98 सीटें
  • वर्ष 2007 – 206 सीटें
  • वर्ष 2012-80 सीटें
  • वर्ष 2017- 19 सीटें

- Advertisement -

पूरे चुनाव में मायावती ने  दो बड़ी सभाएं राज्य मुख्यालय पर कीं।  महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा अपने परिवार के साथ प्रचार करते रहे|  बसपा केअधिकतर सिपहसालार उसे चुनाव से पहले ही छोड़ गए। चुनाव तक पहुंचते पहुंचते 19 में से मात्र तीन विधायक ही रह गए।  बसपा  मजबूती से खड़ी दिखी ही नहीं।

बता दें 2012 के बाद, मायावती ने धीरे-धीरे मिश्रा को पार्टी के नए चेहरे के रूप में पदोन्नत किया और पार्टी के सभी दलित नेताओं को निष्कासित या हाशिए पर डाल दिया।

बसपा के पास अब कोई दूसरा नेतृत्व नहीं है और यहां तक कि जाटव भी, जो मायावती के राजनीतिक रूप से अशांत वर्षों के दौरान उनके पीछे खड़े थे, अब उनका साथ छोड़ चुके हैं।

बसपा अब तक केवल 12.7 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रही है जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जाटव भी बसपा से दूर हो गए हैं।  अपने वोट शेयर का लगभग 10 फीसदी का नुकसान हुआ है। वर्ष 2017 में बसपा को 22.2 फीसदी वोट और 19 सीटें मिली थीं। पार्टी फिलहाल सिर्फ दो सीटों पर आगे चल रही है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.