क्या सचमुच छत्तीसगढ़ पंजाब की राह पर है ?

क्या सचमुच छत्तीसगढ़ पंजाब  की राह पर  है ? कयास जारी हैं , दिल्ली से 10 जनपथ के सूत्रों के  हवाले से सीएम भूपेश बघेल से  7 अक्टूबर को इस्तीफा लिए जाने और टी एस सिंहदेव की ताजपोशी की खबरें मीडिया से आने लगी हैं , सोशल मिडिया भी अटकलों से भरा पड़ा है | इसी हालात के बीच भूपेश बघेल को कांग्रेस नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी भी है।

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नई दिल्ली/रायपुर | क्या सचमुच छत्तीसगढ़ पंजाब  की राह पर  है ? कयास जारी हैं , दिल्ली से 10 जनपथ के सूत्रों के  हवाले से सीएम भूपेश बघेल से  7 अक्टूबर को इस्तीफा लिए जाने और टी एस सिंहदेव की ताजपोशी की खबरें मीडिया से आने लगी हैं , सोशल मिडिया भी अटकलों से भरा पड़ा है | इसी हालात के बीच भूपेश बघेल को कांग्रेस नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी भी है। आज  शनिवार को ही सीएम भूपेश बघेल ने  मीडिया से  कहा, ‘‘छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ ही रहेगा और यह पंजाब नहीं हो सकता है।

इसी हालात के बीच भूपेश बघेल को कांग्रेस नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। भूपेश बघेल को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया है।  कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शनिवार शाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

 छत्तीसगढ़ में राजनीतिक खींचतान , कांग्रेस विधायकों की जारी दिल्ली दौड़  और मुख्यमंत्री पद के कथित बंटवारे की चर्चा के बीच भाजपा की टिप्पणी पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा,  छत्तीसगढ़ पंजाब नहीं हो सकता। बता दें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस में चल रही उठापटक पर कहा था कि छत्तीसगढ़ अब पंजाब हो गया है। वैसे पंजाब में नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद से कांग्रेस नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन के कयास जारी हैं |

सीएम भूपेश बघेल ने  शनिवार को  मीडिया से  कहा, ‘‘छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ ही रहेगा और यह पंजाब नहीं हो सकता है। छत्तीसगढ़ और पंजाब में केवल एक समानता है । दोनों राज्यों का नाम अंक से शुरू होता है। यह :छत्तीसगढ: भी अंक से बना हुआ राज्य है।’’ सीएम ने कहा कि पंजाब पांच आबों यानी पांच नदियों का है। वहीं 36 गढ़ के नाम से छत्तीसगढ़ बना है। दोनों में समानता केवल यही है कि दोनों राज्य का नाम अंकों से बना हुआ है।

सीएम ने कांग्रेस ​विधायकों के  दिल्ली में जुटने को  लेकर कहा, विधायक एक-एक कर दिल्ली गए हैं। वहां जाने में कोई पाबंदी नहीं हैं। सभी स्वतंत्र हैं और कहीं भी आ-जा सकते हैं। वह कोई राजनीतिक मूवमेंट नहीं कर रहे है। इसमें किसी को क्या तकलीफ हो सकती है।

छत्तीसगढ़  में इस वर्ष जून  में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कार्यकाल के ढाई वर्ष पूरा होने के बाद मुख्यमंत्री पद के ढ़ाई-ढाई साल  के कथित बंटवारे के फॉर्मूले की चर्चा जोरों पर है।

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पिछले तीन दिनों के दौरान बघेल के करीबी माने जाने वाले लगभग दो दर्जन विधायक एक बार फिर दिल्ली के दौरे पर हैं और इसी के साथ राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई है।आज शनिवार को करीब आधा दर्जन विधायक नियमित विमान से रवाना हुए। बताया गया कि ये विधायक एक दो दिनों में प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से मिलकर अपनी बात रखेंगे। विधायकों का कहना है कि वो राहुल गांधी के प्रस्तावित दो दिन के कार्यक्रम को और बढ़ाना चाहते हैं।

बैसे इससे पहले गुरुवार  को सीएम  बघेल ने कहा था कि कांग्रेस विधायकों के दिल्ली दौरे को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी विधायकों के दिल्ली दौरे पर कहा था कि इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।  बता दें सिंहदेव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है | राज्य में संभावित नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पूछे जाने पर सिंहदेव ने दोहराया था कि निर्णय पार्टी आलाकमान के पास सुरक्षित है।

उधर नई दिल्ली में मौजूद विधायकों में से एक बृहस्पत सिंह ने बुधवार को मिडिया से कहा था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रस्तावित छत्तीसगढ़ दौरे से पहले पार्टी के लगभग 16 विधायक राज्य प्रभारी पीएल पुनिया से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं।

छत्तीसगढ़  में मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद कांग्रेस आलाकमान ने  अगस्त में बघेल और सिंहदेव को दिल्ली बुलाया था। जब बघेल दिल्ली में थे तब कांग्रेस के 70 में से 54 विधायकों ने उनके समर्थन में दिल्ली का दौरा किया था।

दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने संवाददाताओं से कहा था कि पार्टी नेता राहुल गांधी उनके निमंत्रण पर राज्य का दौरा करने के लिए सहमत हुए हैं। बघेल ने यह भी कहा था कि जो लोग ढाई-ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद की बात कर रहे हैं वह राज्य में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।

बहरहाल  पंजाब में नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद से कांग्रेस नेतृत्व वाले छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन के कयास जारी हैं | दोनों गुटों में विवाद भी कम नहीं हुए हैं | विधायकों की दिल्ली दौड़ को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है | शक्ति प्रदर्शन की जरूरत आखिर किसे पड़ती है ? मीडिया के सियासी पंडित इसका भी विश्लेष्ण कर रहे हैं |

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