तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को मदुरै के एक सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज में छात्रों से “जय श्रीराम” का उद्घोष कराए जाने के बाद शिक्षा क्षेत्र से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है. यह घटना 12 अप्रैल को एक साहित्यिक प्रतियोगिता में बतौर मुख्य अतिथि पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान हुई.
राज्य के प्रमुख शिक्षा संगठन, State Platform for Common School System – Tamil Nadu (SPCSS-TN) ने इस घटना को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 159 का उल्लंघन करार दिया है, जो राज्यपाल द्वारा किए जाने वाले शपथ से संबंधित है. संगठन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर रवि को राज्यपाल के पद से हटाने की मांग की है.
एसपीसीएसएस-टीएन के अनुसार, राज्यपाल ने छात्रों से एक विशेष धर्म के देवता का नाम उच्चारण करने को कहा, जो भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है. छात्रों को सम्मान बनाए रखने के लिए राज्यपाल के आदेश का पालन करना पड़ा, लेकिन संगठन ने इसे शक्तियों का दुरुपयोग और संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन बताया.
एसपीसीएसएस-टीएन के महासचिव पीबी प्रिंस गजेन्द्र बाबू ने एक बयान में कहा, “आरएन रवि को तत्काल तमिलनाडु के राज्यपाल के पद से हटा दिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने जानबूझकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 159 का उल्लंघन किया है.” संगठन का कहना है कि राज्यपाल ने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने की बजाय सार्वजनिक मंच पर विशेष धर्म का प्रचार किया.
संगठन ने आगे कहा कि शिक्षा एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है और तमिलनाडु में छात्रों को सभी धर्मों के ग्रंथों से शैक्षिक दृष्टिकोण से अवगत कराया जाता है, बिना किसी भेदभाव के. “राज्यपाल का इस मामले में ज्ञान न होना और उनकी अरोगेंसी समाज में अशांति पैदा करने की दिशा में काम कर रही है,” बयान में कहा गया.
एसपीसीएसएस-टीएन ने यह भी उल्लेख किया कि कॉलेज प्रबंधन ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों का पालन किया है, और छात्रों ने संस्थान की प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए चुपचाप राज्यपाल के आदेश का पालन किया.
संगठन ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वह राज्यपाल को पद से हटाने के लिए उचित कदम उठाएं और इस कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद 51A के उल्लंघन के रूप में भी देखा.