जम्मू-कश्मीर हमला: पाक उपप्रधानमंत्री ने पहलगाम के आतंकियों को बताया ‘स्वतंत्रता सेनानी’

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नई दिल्ली: पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल के हमले की निंदा की है और आतंकी संगठनों को शरण देने के आरोपों से इनकार किया है, लेकिन गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने हमलावरों को “स्वतंत्रता सेनानी” करार दिया.

इस्लामाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए, उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री डार ने कहा, “22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम जिले में हमले करने वाले लोग शायद स्वतंत्रता सेनानी हों.”

उनका यह बयान भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक कदमों की घोषणा के एक दिन बाद आया, जिसमें इन हमलों को इस्लामाबाद से जोड़ा गया. इनमें सबसे बड़ा कदम 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना और पाकिस्तानी नागरिकों को जारी सभी वीजा रद्द करना शामिल है.

सिंधु जल संधि के निलंबन पर डार ने कहा, “पाकिस्तान के 24 करोड़ लोगों को पानी की जरूरत है… इसे रोका नहीं जा सकता. यह युद्ध की कार्रवाई के समान है. कोई भी निलंबन या अतिक्रमण स्वीकार नहीं किया जाएगा.”

डार ने चेतावनी दी कि अगर भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया या धमकी दी, तो उसका जवाब उसी तरह दिया जाएगा. उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान पर सीधा हमला हुआ, तो जवाब में बराबरी का हमला होगा.”

पाकिस्तान सरकार ने भी इसी तरह का रुख अपनाया और कहा कि सिंधु जल संधि के तहत उसे मिलने वाले पानी को रोकने या मोड़ने की कोई भी कोशिश “युद्ध की कार्रवाई” मानी जाएगी.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, “सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के हिस्से के पानी को रोकने या मोड़ने और निचले तटीय क्षेत्रों के अधिकारों के हनन को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा.”

बयानबाजी को और तेज करते हुए, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने दावा किया कि भारत पाकिस्तान में हमलों की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा, “हम उन्हें भारी कीमत चुकाने पर मजबूर करेंगे. अगर भारत हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाता है, तो भारतीय नागरिक भी सुरक्षित नहीं रहेंगे. यह बराबरी का जवाब होगा.”

मंगलवार (22 अप्रैल) को आतंकियों ने बैसारन घास के मैदानों में एक प्रमुख पर्यटन स्थल पर घातक हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी में सबसे घातक था. प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से संबद्ध द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इस नरसंहार की जिम्मेदारी ली है.

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