इस्लामाबाद/नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा किए गए कूटनीतिक कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने बड़ा फैसला लिया है. पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते को स्थगित करने की घोषणा की है और भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र पूरी तरह बंद कर दिया है. इसके साथ ही, पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियों को निलंबित कर दिया और वाघा सीमा को भी बंद कर दिया है.
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव
मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें ज्यादातर पर्यटक थे. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया और इसके जवाब में कई कड़े कदम उठाए. भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने और वाघा-अटारी सीमा चौकी को बंद करने की घोषणा की थी.
पाकिस्तान का जवाब: पाकिस्तान ने भारत के इन कदमों को “अनुचित और गैरकानूनी” करार देते हुए शिमला समझौते सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने का फैसला किया. साथ ही, उसने भारतीय उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या को 30 तक सीमित करने का आदेश दिया.
शिमला समझौता क्या है?
शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक शांति संधि थी. यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ. इस समझौते ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) को परिभाषित किया और दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण समाधान के लिए द्विपक्षीय वार्ता पर जोर दिया.
पाकिस्तान के अन्य कदम
पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों के लिए सभी वीजा रद्द कर दिए हैं, सिवाय सिख तीर्थयात्रियों के. भारतीयों को 48 घंटे के भीतर पाकिस्तान छोड़ने का आदेश दिया गया है. इसके अलावा, पाकिस्तान ने भारत के सैन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और उन्हें “पर्सोना नॉन ग्राटा” घोषित किया. पाकिस्तान ने यह भी चेतावनी दी है कि सिंधु जल समझौते के तहत पानी की आपूर्ति में किसी भी तरह की बाधा को “युद्ध की कार्रवाई” माना जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भविष्य की आशंकाएं
इस बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. भारत ने अमेरिका, रूस, जापान, कतर और अन्य देशों के राजनयिकों को पहलगाम हमले के बारे में जानकारी दी है, जिसकी सभी ने निंदा की है. कूटनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच यह तनाव और बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है.
पाकिस्तान के इस कदम से नियंत्रण रेखा की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं, जिससे सीमा पर तनाव और बढ़ने की आशंका है. भारत ने अभी तक पाकिस्तान के इस फैसले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.