भुवनेश्वर| ओडिशा के कंधमाल जिले में नक्सलियों ने अलग-अलग घटनाओं में पुलिस के मुखबिर होने की आशंका में दो ग्रामीणों की हत्या कर दी है।
रिपोर्ट के अनुसार माओवादी एक समूह के भंडारगंगा के भवानी शंकर पात्रा के घर में घुसकर उसे गोली मार दी। बाद में उसके शरीर को कुछ माओवादी पोस्टरों के साथ स्थानीय पंचायत कार्यालय के पास फेंक दिया।
इसी तरह की अन्य एक घटना में, सीपीआई (माओवादी) समूह के वंसाधरा-घुमुसर-नागवली डिवीजन से जुड़े गोछागुड़ा गांव के हेमंत पात्रा को जबरन उसके घर से कुछ दूर ले गए और उसे मार डाला।
दोनों ही मामलों में कुछ पोस्टरों को शव के पास फेंका गया है। पोस्टर में लिखा है कि मृतक दोनों पुलिस के मुखबिर थे। वे पुलिस को माओवादियों के आंदोलन के बारे में जानकारी साझा करते थे। जिसके परिणामस्वरूप 2 सितंबर 2020 को कंधमाल जिले के बेलघर इलाके में सिरकी गांव में पुलिस से हमारी मुठभेड़ हुई थी। इसमें 5 माओवादी मारे गए थे।
बता दें 9 सितंबर को कालाहांडी डीवीआर के साथ एसओजी ने कालाहांडी-कंधमाल सीमा पर भंडारगढ़ी सिरकी वन क्षेत्र में खुफिया सूचनाओं के आधार पर तलाशी अभियान चलाया। गोलाबारी में, पांच माओवादी मारे गए, और ओडिशा पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के दो कर्मियों – मयूरभंज जिले के सुधीर कुमार टुडू और अंगुल के देबासीस सेठी शहीद हो गए।
वंसाधरा-घुमसर-नागवली डिवीजन के नाम से चेतावनी जारी गोंड समुदाय के युवाओं को पुलिस के मुखबिर बनने से दूर रहने के लिए कहा गया है।
पोस्टर के मुताबिक, नक्सलियों ने अन्य मुखबिरों को जन अदालत में 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी, जब तक कि उन्हें मौत की सजा नहीं दी जाएगी।
ओडिया भाषा में लिखे पोस्टर में लिखा गया, “हमें उन सभी लोगों की पूरी जानकारी है, जो पुलिस को इनपुट मुहैया करा रहे हैं। सभी मुखबिरों को 15 दिनों के भीतर जन अदालत के सामने आत्मसमर्पण करना चाहिए, वरना उन्हें भी उसी तकलीफ का सामना करना पड़ेगा।”
इसने नवीन पटनायक सरकार, ओडिशा के पुलिस महानिदेशक अभय और आईजी (इंटेलिजेंस) आर.के. जानमाल के नुकसान के लिए शर्मा को जिम्मेदार माना जाएगा।
इधर छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी नक्सलियों ने कोंडागांव जिले में एक एम्बुलेंस चालक का अगवा करने के बाद हत्या कर दी , इस जिले में इसके पहले एक सरपंच की हत्या कर दी गई थी| नक्सलियों इन पर हत्या से पहले पुलिस मुखबिर का आरोप लगाया और इसकी सजा देने की बात कही थी| ओडिशा की सरहद बस्तर से लगी हुई है|