मोहम्मद युनूस की टिप्पणी का असर: भारत ने बांग्लादेश को दी अनुमति वापस ली

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नई दिल्ली: बांगलादेश के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद युनूस द्वारा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों पर की गई टिप्पणी के बाद बांगलादेश को बड़ा नुकसान हुआ है.

भारत सरकार ने मंगलवार को बांगलादेश को दी गई अनुमति वापस ले ली, जिसके तहत वह भारतीय लैंड कस्टम स्टेशनों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों के जरिए अन्य देशों को अपने निर्यात माल को भेज सकता था. यह निर्णय युनूस के चीन यात्रा के दौरान दिए गए बयान के बाद लिया गया, जिसमें उन्होंने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को ‘लैंडलॉक’ (समुद्र से कटे हुए) बताया और बीजिंग से इन क्षेत्रों का फायदा उठाने की अपील की थी.

युनूस ने बीजिंग में कहा था, “भारत के सात पूर्वी राज्य, जिन्हें ‘सात बहनें’ कहा जाता है, एक लैंडलॉक क्षेत्र हैं. इन राज्यों का समुद्र से कोई संपर्क नहीं है, इसलिए यह एक बड़ी संभावना है. यह चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो सकता है.”

भारत को युनूस का यह बयान बिल्कुल भी पसंद नहीं आया, खासकर चीन की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों, विशेषकर अरुणाचल प्रदेश, को लेकर विवादित है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस पर प्रतिक्रिया दी, कहां कि “भारत की लगभग 6,500 किलोमीटर लंबी बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा है. हम न केवल पांच BIMSTEC देशों से सीमा साझा करते हैं, बल्कि इन देशों के साथ विभिन्न प्रकार के सड़क, रेल, जलमार्ग, ग्रिड और पाइपलाइन नेटवर्क से जुड़े हुए हैं. विशेष रूप से हमारे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को BIMSTEC के लिए एक कनेक्टिविटी हब के रूप में विकसित किया जा रहा है.”

बुधवार को विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि “जो ट्रांसशिपमेंट सुविधा बांगलादेश को दी गई थी, उसने समय के साथ हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर गंभीर भीड़ बढ़ा दी थी. इसके कारण लॉजिस्टिक देरी और बढ़े हुए खर्चों से हमारी अपनी निर्यात प्रक्रिया में रुकावट आ रही थी, जिससे बैकलॉग पैदा हो रहा था. इसलिए इस सुविधा को 8 अप्रैल 2025 से वापस लिया जाता है.”

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