सर्वदलीय बैठक में तीखे सवाल
पहलगाम हमले ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. सरकार ने विपक्षी दलों को इस घटना की जानकारी देने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए यह बंद कमरे की बैठक बुलाई थी. सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी नेताओं ने सुरक्षा बलों की तैयारियों और त्वरित प्रतिक्रिया की कमी पर सवाल उठाए. कुछ नेताओं ने पूछा, “सुरक्षा बल कहाँ थे? केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती क्यों नहीं थी?”
गृह मंत्री का जवाब: अमित शाह ने स्वीकार किया कि स्थानीय प्रशासन ने अनंतनाग जिले के बैसारन क्षेत्र को खोलने से पहले सुरक्षा एजेंसियों को सूचित नहीं किया था, जो परंपरागत रूप से जून में अमरनाथ यात्रा शुरू होने तक प्रतिबंधित रहता है.
देर से प्रतिक्रिया, अनुपस्थित SOP
बैठक में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि हमले के बाद सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया में देरी क्यों हुई. सरकार ने बताया कि घटनास्थल तक पहुँचने के लिए 45 मिनट की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती थी, और ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) मौजूद नहीं थी. इस खुलासे ने सुरक्षा तंत्र की तैयारियों पर और सवाल खड़े कर दिए.
राजनीतिक और सामाजिक आक्रोश
पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले ने न केवल जम्मू-कश्मीर, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. पर्यटकों को निशाना बनाए जाने से पर्यटन उद्योग पर भी गहरा असर पड़ने की आशंका है. विपक्ष ने सरकार पर सुरक्षा नीतियों में विफलता का आरोप लगाया है, जबकि जनता सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रही है.
आगे की राह
सूत्रों का कहना है कि सरकार अब इस मामले की गहन जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने पर विचार कर रही है. साथ ही, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है. गृह मंत्री ने विपक्ष को आश्वासन दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे.