महासमुंद : बगैर रुके चल रहे 40 हजार से अधिक बोर पम्प, रबी धान किस कीमत पर?

छत्तीसगढ़ के महासमुन्द  जिले में रबी धान की फसल के लिए बिना रुके पानी उगलते बोर पम्पों ने  भू जल स्तर में गिरावट और लो वोल्टेज की समस्या पैदा कर दी है| जिले के प्रायः सभी विकासखण्ड के गाँव  इससे जूझ रहे हैं । जिले भर में रबी फसल हेतु शासन की सब्सिडी वाले कोई 40 हजार से अधिक मोटर पम्प बगैर रुके चल रहे है

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छत्तीसगढ़ के महासमुन्द  जिले में रबी धान की फसल के लिए बिना रुके पानी उगलते बोर पम्पों ने  भू जल स्तर में गिरावट और लो वोल्टेज की समस्या पैदा कर दी है| जिले के प्रायः सभी विकासखण्ड के गाँव  इससे जूझ रहे हैं । जिले भर में रबी फसल हेतु शासन की सब्सिडी वाले कोई 40 हजार से अधिक मोटर पम्प बगैर रुके चल रहे है

महासमुंद जिले में किसानों का एक बड़ा वर्ग शासन की रबी में धान फसल नहीं  लगाने के आग्रह के बावजूद धान की फसल लेते है। सके लिए किसान अपने खेत के ट्यूबवेल लगातार 24 घण्टे चलाते हैं । जिसका परिणाम लो वोल्टेज एवम गिरते भू जल स्तर से देखा जा सकता है। इस सम्बंध में शासन प्रशासन लगातार अनेक वर्षों से किसानों को रबी में धान की बजाय कम पानी वाली सब्जियों की फसल लेने का आग्रह करते है।परन्तु इसका असर होता दिखाई नहीं  देता।

 ढाई हजार हेक्टयर से अधिक में धान

एक जानकारी के अनुसार जिले भर में कोई दस हजार हेक्टयर से अधिक क्षेत्र में स्थानीय किसानों ने रबी में धान की खेती कर रहे है।इसके अलावा दलहन करीब 2000 हेक्टयर, तिलहन करीब 1500 हेक्टयर एवम साग सब्जी कोई 2500 हेक्टयर में लगा कर खेती की जा रही है।

धान से 90 फीसदी कम पानी में  सब्जी

विशेषज्ञ बताते है कि एक किलो धान के लिए कोई दो से ढाई हजार लीटर तक पानी की आवस्यकता होती है।जबकि एक किलो सब्जी उगाने के लिए मात्र 100 से 300 लीटर तक पानी की आवश्यकता होती है।इसके बावजूद ट्यूबवेल वाले किसानों की पहली प्राथमिकता रबी में धान की फसल लगाने की ही होती है।

 

धान की कीमत मात्र 1000 से 1200

खरीफ सीजन में  धान सरकार द्वारा 2500 रुपये प्रति क्विंटल समर्थम मूल्य पर क्रय किया जाता है जो कि किसानों के लिए फायदे का काम होता है।जबकि रबी सीजन के धान को शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर क्रय नही किया जाता जिससे किसान अपना धान व्यापारियों के पास बेचते है।रबी धान की कीमत किसानों को मात्र 1000 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल पाती है।

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विद्युत विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले भर में कोई 40 हजार से अधिक ट्यूबवेल रबी फसल हेतु लगातार 24×7 चल रहे है। पहले की तरह अब समझाइश के बाद भी कोई भी किसान कैपेसिटर का उपयोग नहीं करता।जिससे विद्युत प्रवाह अनियमित हो जाता है। परिणामस्वरूप सभी को लो वोल्टेज का सामना करना पड़ता है। शासन द्वारा किसानों से बिजली बिल के नाम पर मात्र 100 रुपये प्रति एच पी प्रति माह शुल्क लिया जाता है जबकि शासन विद्युत मंडल को कोई साढ़े चार रुपये से अधिक की राशि प्रति यूनिट सब्सिडी के रूप में देती है। एक अनुमान के अनुसार एक एच पी की मोटर पर प्रति माह कोई 3000 रुपये का बिल आ सकता है।इससे यह स्पस्ट है कि रबी में खास धान की फसल में किसानों को विद्युत सब्सिडी से कुछ अधिक की कमाई हो सकती है परन्तु यह फसल अत्यधिक लाभ कमाने का व्यवसाय नहीं है।

 शासन विद्युत सब्सिडी किसानों को दे

क्षेत्र के कुछ जानकारों से चर्चा से यह बात सामने आई कि किसानों को ट्यूबवेल हेतु विद्युत सब्सिडी सीधे रबी में धान की फसल नही लेने वाले किसानों को दे। जिससे किसान अपना लाभ सब्सिडी में लेकर धान की फसल नही लगाएंगे।लिहाज वर्तमान में विद्युत संकट एवम तेजी से नीचे जाते भू जल स्तर से निजात मिल सकती है।

बता दें छत्तीसगढ़ में रबी सीजन 2021-22 में गेहूं की रकबे में पौने तीन गुना की वृद्धि हुई। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में महासमुंद जिले का जिक्र ही नहीं है यानि इया जिले में गेहूं किसानों की  पसंद नहीं है |

deshdigital के लिए रिपोर्ट  रजिंदर खनूजा

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