दिल्ली में महिला नेतृत्व की बागडोर: रेखा गुप्ता को क्यों मिली कमान?
रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं. उनसे पहले भाजपा की सुषमा स्वराज, कांग्रेस की शीला दीक्षित और आप की आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं. उनके साथ कैबिनेट में परवेश वर्मा, कपिल मिश्रा, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंद्र इंद्राज राज, आशीष सूद और पंकज सिंह ने भी मंत्री पद की शपथ ली.
नई दिल्ली| 20 फरवरी को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ, जहां बीजेपी की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनके मंत्रिमंडल ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. यह वही स्थल है, जहां से 2011 में अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे के नेतृत्व में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन की शुरुआत की थी, जिसने बाद में उनके राजनीतिक करियर की नींव रखी.
इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा समेत एनडीए शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे. यह समारोह बीजेपी के लिए ऐतिहासिक था, क्योंकि पार्टी ने 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता में वापसी की है. इस बार बीजेपी ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को मात्र 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा.
रेखा गुप्ता बनीं दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री
रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं. उनसे पहले भाजपा की सुषमा स्वराज, कांग्रेस की शीला दीक्षित और आप की आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं. उनके साथ कैबिनेट में परवेश वर्मा, कपिल मिश्रा, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंद्र इंद्राज राज, आशीष सूद और पंकज सिंह ने भी मंत्री पद की शपथ ली.
हालांकि, मुख्यमंत्री के चयन को लेकर 11 दिनों तक गहन मंथन चला. पार्टी रणनीतिकारों ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा से वापसी तक इंतजार किया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सहमति भी जरूरी मानी गई. गुप्ता की नियुक्ति केवल दिल्ली तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति और आगामी चुनावों को भी प्रभावित करने वाली मानी जा रही है.
बीजेपी की रणनीति और महिला मतदाता
रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश की है. मोदी युग में यह पहली बार हुआ है जब किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाया गया है. इससे पहले आनंदीबेन पटेल 2016 तक गुजरात की मुख्यमंत्री रही थीं.
पिछले एक दशक में दिल्ली में महिला मतदाताओं का झुकाव ‘आप’ की ओर देखा गया था, खासकर उनकी मुफ्त सुविधाओं पर आधारित कल्याणकारी नीतियों के कारण. गुप्ता की नियुक्ति के जरिए भाजपा महिला वोट बैंक में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश करेगी.
संघ की पसंद बनीं गुप्ता, परवेश वर्मा को पछाड़ा
रेखा गुप्ता आरएसएस की करीबी मानी जाती हैं और संघ के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबले की वफादार मानी जाती हैं. वह पहली बार विधायक बनी हैं, तीन बार पार्षद रह चुकी हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की पूर्व अध्यक्ष भी रही हैं. हालांकि, 2023 के नगर निगम चुनाव में वह आप की शैली ओबेरॉय से मेयर का चुनाव हार गई थीं.
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में परवेश वर्मा भी मजबूत दावेदार थे, जो नई दिल्ली विधानसभा सीट से केजरीवाल को हराकर बीजेपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने में सफल रहे थे. लेकिन संघ ने गुप्ता के नाम पर अपनी मुहर लगाई, क्योंकि पार्टी नेतृत्व एक महिला मुख्यमंत्री चाहता था, जो विवादों से दूर रहकर केवल प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करे.
पंजाबी–बनिया समुदाय पर भाजपा की नजर
रेखा गुप्ता पंजाबी भाषी बनिया समुदाय से आती हैं. उनकी नियुक्ति से संकेत मिलता है कि भाजपा आम आदमी पार्टी को सत्ता से हटाने के बाद अपनी पकड़ बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है.
दिल्ली में ‘आप’ का महिला, बनिया और पंजाबी समुदाय में खासा प्रभाव रहा है. अरविंद केजरीवाल ने इस समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट नारायण दास गुप्ता को दो बार राज्यसभा सांसद भी बनाया था.
इस संतुलन को साधने के लिए रेखा गुप्ता के अलावा उनके मंत्रिमंडल में दो अन्य पंजाबी नेताओं—आशीष सूद और मनजिंदर सिंह सिरसा को जगह दी गई है.
भविष्य की रणनीति: एमसीडी पर कब्जे की तैयारी
बीजेपी अब एमसीडी (नगर निगम) पर भी अपना कब्जा जमाने की कोशिश में है. एमसीडी चुनावों में हालिया दलबदल के बाद बीजेपी के पार्षदों की संख्या 116 हो गई है, जबकि ‘आप’ के पास 114 सीटें और कांग्रेस के पास 8 सीटें हैं.
अगर बीजेपी एमसीडी का मेयर पद जीतने में सफल रहती है, तो यह पार्टी के लिए बड़ी जीत होगी. यह 2023 में शैली ओबेरॉय के खिलाफ गुप्ता की हार का बदला लेने जैसा भी होगा.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 11 भाजपा पार्षद विधायक बने हैं, जिनमें खुद रेखा गुप्ता भी शामिल हैं. इसके अलावा, एक अन्य पार्षद कमलजीत सहरावत 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम दिल्ली से सांसद चुनी गई थीं.
पंजाब में भी भाजपा की नजर
दिल्ली की राजनीति का असर उत्तर भारत के अन्य राज्यों पर भी पड़ता है. रेखा गुप्ता का परिवार हरियाणा के जींद जिले से ताल्लुक रखता है और उनकी बनिया जाति पंजाब के मालवा क्षेत्र में प्रभावी है.
पंजाब में अगले दो वर्षों में विधानसभा चुनाव होने हैं और ‘आप’ के लिए दिल्ली में मिली हार के बाद वहां की चुनौती और बढ़ गई है. पारंपरिक रूप से, पंजाब में गुप्ता समुदाय कांग्रेस का समर्थन करता आया है.
रेखा गुप्ता, मनजिंदर सिरसा, आशीष सूद और परवेश वर्मा की मजबूत टीम के साथ बीजेपी ने पहले ही पंजाब में एक आक्रामक चुनावी अभियान की तैयारी कर ली है. अब देखना होगा कि बीजेपी दिल्ली और पंजाब में अपनी रणनीति को कितनी सफलतापूर्वक लागू कर पाती है.