कोलकाता: पश्चिम बंगाल के दिगा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पुरी जगन्नाथ मंदिर के सेवकों, शोधकर्ताओं और बौद्धिकों ने दिगा के इस मंदिर को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं.
दिगा में स्थित जगन्नाथ मंदिर, जो कि ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित है, का उद्घाटन 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर होने जा रहा है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुरी के सेवकों को उद्घाटन समारोह में आमंत्रित किया है और उन्हें मंदिर पर ध्वज चढ़ाने के लिए भी बुलाया है. हालांकि, नीयोग ने इस निमंत्रण को ठुकरा दिया है और अपने सदस्यां को चेतावनी दी है कि यदि कोई सदस्य दिगा में ध्वज चढ़ाने की रस्म में भाग लेता है, तो उसे सेवा से बैन कर दिया जाएगा.
साथ ही महासुआर निजोग ने महाप्रसाद के नाम पर प्रसाद बेचने की योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. दिगा के नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं.
पुरी के सेवकों ने चिंता जताई है कि दिगा मंदिर का उद्घाटन पुरी जगन्नाथ मंदिर के रीतिरिवाजों का अनुकरण नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि पुरी श्रीमंदिर की पवित्रता बनाए रखना बेहद जरूरी है. यह मंदिर दुनिया में कहीं और नहीं हो सकता, जो पुरी के श्रीमंदिर के समान हो. इसलिए दिगा में उद्घाटन समारोह में पुरी के जैसे रीतिरिवाजों का पालन नहीं किया जा सकता.
सेवकों ने यह भी कहा कि दिगा मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा अन्य मंदिरों की तरह होनी चाहिए, जहां श्रद्धालु बिना किसी वाणिज्यिक उद्देश्य के दर्शन कर सकें. महाप्रसाद के नाम पर प्रसाद बेचने से इसकी पवित्रता समाप्त हो सकती है, यह उन्होंने स्पष्ट किया.
इसके अतिरिक्त, पुरी सेवकों ने मांग की है कि पश्चिम बंगाल सरकार को मंदिर में केवल हिंदू भक्तों को ही प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए ताकि इसकी धार्मिक पवित्रता बनी रहे. अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह मंदिर अपनी धार्मिक महत्वता खोकर एक संग्रहालय जैसा बन सकता है.