तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.2% बढ़ी, कृषि क्षेत्र में आई मजबूती
ताजा आंकड़े अर्थव्यवस्था में स्थिर वृद्धि दर्शाते हैं. इसके साथ ही, वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित कर 5.6% किया गया है, जो पहले के अनुमान से अधिक है.
नई दिल्ली| वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 6.2% की दर से बढ़ी है. यह आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी किए गए हैं. इसी अवधि में नाममात्र जीडीपी वृद्धि दर 9.9% आंकी गई है.
ताजा आंकड़े अर्थव्यवस्था में स्थिर वृद्धि दर्शाते हैं. इसके साथ ही, वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित कर 5.6% किया गया है, जो पहले के अनुमान से अधिक है.
पिछले वर्षों की तुलना में आर्थिक प्रदर्शन
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 9.2% रही, जो पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक है. हालांकि, 2021-22 में महामारी के बाद हुए आर्थिक सुधार को छोड़ दिया जाए, तो यह सबसे ऊंची वार्षिक वृद्धि दर मानी जा रही है.
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान अब 6.5% तक बढ़ा दिया है, जो पहले 6.4% था. हालांकि यह मामूली वृद्धि है, फिर भी यह पिछले चार वर्षों में सबसे धीमी विकास दर होगी.
कृषि और ग्रामीण मांग ने दी मजबूती
अक्टूबर से दिसंबर की अवधि में ग्रामीण मांग आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख कारक रही. अनुकूल मानसून के कारण कृषि उत्पादन में सुधार हुआ, जिससे प्रमुख खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ा और ग्रामीण आय में वृद्धि हुई. परिणामस्वरूप, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर तीसरी तिमाही में 4.5% तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में मात्र 0.4% थी.
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि पिछले दो वर्षों के जीडीपी आंकड़ों में तेजी से संशोधन के बावजूद, वित्तीय वर्ष 2024-25 की वृद्धि स्थिर बनी हुई है. हालांकि, इसका प्रमुख कारण दूसरी तिमाही के आंकड़ों में हुआ सुधार है.
उन्होंने कहा, “तीसरी तिमाही के आंकड़े उम्मीदों के अनुरूप रहे, लेकिन सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा अनुमानित चौथी तिमाही में 7.5% की वृद्धि दर काफी आशावादी प्रतीत होती है. हमें लगता है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 की जीडीपी वृद्धि CSO के अनुमान से 20-30 आधार अंक कम रह सकती है. साथ ही, वित्तीय वर्ष 2025-26 में 6.4% की वृद्धि का अनुमान है, लेकिन वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के चलते इसमें जोखिम बने हुए हैं.”
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर निकट भविष्य में स्थिर रहने की संभावना है, लेकिन वैश्विक व्यापार अस्थिरता के कारण कुछ चुनौतियां भी बनी रहेंगी.