लोकतंत्र पर हमला? ओडिशा कांग्रेस विधायकों का निलंबन विवाद

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भुवनेश्वर: ओडिशा विधानसभा में मंगलवार को हाई ड्रामा देखने को मिला, जब 12 निलंबित कांग्रेस विधायकों ने स्पीकर के पोडियम के नीचे प्रदर्शन जारी रखा और सदन की कार्यवाही बाधित की. स्पीकर सुरमा पाधी ने इन विधायकों को लगातार व्यवधान और अनुशासनहीनता के कारण सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया.

निलंबन और विरोध प्रदर्शन

कांग्रेस विधायक पिछले 12 दिनों से महिलाओं पर बढ़ते अपराधों की जांच के लिए सदन समिति की मांग कर रहे थे. वे गोंग बजाकर और बांसुरी बजाकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे. निलंबित विधायकों में कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम (पोट्टांगी), सीएस राजन एक्का (राजगंगपुर), दशरथी गमांगो (मोहन), अशोक कुमार दास (बसुदेवपुर), सत्यजीत गमांगो (गुणुपुर), सागर चरण दास (भवानीपटना), कद्रका अप्पाला स्वामी (रायगड़ा), प्रफुल्ल चंद्र प्रधान (कंधमाल), पबित्रा सौंता (कोरापुट), सोफिया फिरदौस (बाराबती-कटक), मंगू खिला (चित्रकोंडा) और नीलमाधब हिकाका (बिस्सम-कटक) शामिल हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक ताराप्रसाद बहिनीपति और रमेश जेना निलंबन से बच गए क्योंकि वे सदन में मौजूद नहीं थे. बहिनीपति ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया और कहा कि वे विरोध जारी रखेंगे.

कांग्रेस का आरोप

ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने इस निलंबन को सरकार और विधानसभा द्वारा किया गया गंभीर अपराध बताया. उन्होंने कहा, “हम केवल महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.” उन्होंने राज्य के लोगों से 27 मार्च को विधानसभा घेराव में भाग लेने की अपील की.

कांग्रेस विधायक दशरथी गमांगो ने सवाल उठाया कि बीजेपी सरकार महिलाओं पर बढ़ते अपराधों की जांच के लिए समिति बनाने से क्यों हिचकिचा रही है. उन्होंने इसे “अस्वीकार्य” बताते हुए कहा कि पार्टी आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करेगी.

सरकार और अन्य दलों की प्रतिक्रिया

बीजेडी विधायक अरुण साहू ने कहा कि बीजेपी सरकार को कांग्रेस की मांग स्वीकार कर लेनी चाहिए थी. उन्होंने इसे सरकार की अक्षमता का परिणाम बताया. दूसरी ओर, बीजेपी ने स्पीकर के फैसले का समर्थन करते हुए इसे “आखिरी उपाय” बताया. शहरी विकास मंत्री कृष्ण महापात्रा ने कहा, “कांग्रेस विधायकों ने बार-बार अनुरोधों और बैठकों के बावजूद सदन की कार्यवाही बाधित की.”

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