धरती की ओर बढ़ रहा विशाल क्षुद्रग्रह 2024 YR4, दिसंबर 2032 में टकराने की आशंका

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दिसंबर 2024 में खोजे गए 2024 YR4 नामक एक विशाल क्षुद्रग्रह ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. विशेषज्ञ इसकी कक्षा पर लगातार नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि यह दिसंबर 2032 में पृथ्वी से टकरा सकता है. शुरुआती अनुमानों में टकराव की संभावना 3.1% थी, लेकिन अब नए आंकड़ों के अनुसार यह घटकर 0.28% (357 में 1) रह गई है.

भारत के कई राज्य संभावित प्रभाव क्षेत्र में

वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराता है, तो भारत के सात राज्यों—ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तरी तेलंगाना, दक्षिणी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल—पर प्रभाव पड़ सकता है. विशेष रूप से मुंबई और कोलकाता जैसे घनी आबादी वाले शहरों के लिए खतरा अधिक माना जा रहा है.

2024 YR4 का व्यास 54 मीटर (177 फीट) है, जो किसी बड़े शहर को नष्ट करने में सक्षम है. यह लगभग 64,373 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में गतिमान है। यदि यह पृथ्वी से टकराता है, तो इसकी ऊर्जा लगभग 8 मेगाटन टीएनटी के बराबर होगी, जो हिरोशिमा परमाणु विस्फोट से 500 गुना अधिक विनाशकारी हो सकती है. यह टकराव जमीन पर होगा तो जबरदस्त आग और झटकों का कारण बन सकता है, जबकि समुद्र में गिरने पर विनाशकारी सुनामी आ सकती है.

वैज्ञानिकों की पैनी नजर, खतरे की गंभीरता का आकलन जारी

नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और दुनिया भर के वेधशालाएं इस क्षुद्रग्रह पर कड़ी निगरानी रख रही हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि शुरुआती गणनाओं में संभावनाएं अधिक हो सकती हैं, लेकिन समय के साथ अधिक सटीक डेटा मिलने पर ये घट सकती हैं. नासा की टोरिनो स्केल पर 2024 YR4 को 3/10 की श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि इसका प्रभाव क्षेत्रीय स्तर पर विनाशकारी हो सकता है, लेकिन यह कोई वैश्विक संकट नहीं होगा.

इसके अलावा, क्षुद्रग्रह के चंद्रमा से टकराने की 0.3% संभावना भी जताई गई है. यदि यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो यह हवा में ही फट सकता है (एयरबर्स्ट) या फिर एक बड़ा गड्ढा बना सकता है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिक रिचर्ड मोइसल के अनुसार, “यह किसी शहर के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है,” उन्होंने इसे 2013 के चेल्याबिंस्क उल्कापिंड घटना से तुलना की, जिसमें 1,500 लोग घायल हो गए थे.

बचाव योजनाएं: क्या पृथ्वी पर टकराव को रोका जा सकता है?

अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह चेतावनी नेटवर्क (IAWN) और संयुक्त राष्ट्र समर्थित संगठन इस खतरे को टालने की रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. नासा का 2022 में किया गया DART मिशन, जिसमें एक क्षुद्रग्रह का सफलतापूर्वक मार्ग बदला गया था, भविष्य के संभावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है. अन्य विकल्पों में “ग्रेविटी ट्रैक्टर” तकनीक या परमाणु विस्फोट के जरिए टकराव को टालने की योजना शामिल है.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मार्च 2025 तक और अधिक सटीक डेटा उपलब्ध होगा, जिससे टकराव की संभावना का और स्पष्ट आकलन किया जा सकेगा. फिलहाल, शोधकर्ता 2024 YR4 की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें.

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