डोम्बिवली में दो महिलाओं से मारपीट, मराठी में बात करने को लेकर हुआ विवाद

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डोम्बिवली में एक युवक और उसके परिवार के सदस्यों ने दो महिलाओं की बुरी तरह से पिटाई कर दी, क्योंकि उन्होंने “एक्सक्यूज मी” कहकर बात की थी, बजाय इसके कि वे मराठी में बोलें. यह घटना हाल ही में उस समय हुई जब दोनों महिलाएं स्कूटी से अपनी सोसाइटी के प्रवेश द्वार पर आ रही थीं.

घटना का विवरण

पीटीआई रिपोर्ट के अनुसार, जब एक महिला ने प्रवेश द्वार पर खड़े एक व्यक्ति से “एक्सक्यूज मी” कहा, तो वह व्यक्ति इस पर गुस्सा हो गया. इसके बाद वह व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों के साथ महिला पर हमला करने लगा. एक महिला अपने हाथ में नौ महीने के बच्चे को लिए हुए थी. हमलावर ने महिलाओं से मराठी में बोलने की मांग की.

पीड़िता ने की शिकायत

महिलाओं ने इस मामले में विष्णुपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें यह देखा जा सकता है कि महिलाएं चुपचाप एक सामान्य शिष्टाचार का पालन कर रही थीं, लेकिन हमलावर की प्रतिक्रिया पूरी तरह से अनुचित थी.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले की जांच की जा रही है.

राज ठाकरे का बयान

कुछ दिन पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के राष्ट्रीयकृत बैंकों में प्रबंधकों से ग्राहकों के साथ मराठी में संवाद करने की मांग की थी.

5 अप्रैल को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से राज्यभर के बैंकों और अन्य प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा के उपयोग की अनिवार्यता को लेकर जारी आंदोलन को रोकने की अपील की.

ठाकरे का संदेश

राज ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे एक पत्र में कहा, “अब आंदोलन को रोकने का समय आ गया है क्योंकि इस मुद्दे के बारे में काफी जागरूकता फैल चुकी है. अब यह मराठी समुदाय की जिम्मेदारी है कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं. अगर हमारी समुदाय ही कदम नहीं उठाएगा तो इन आंदोलनों का क्या मतलब होगा?”

ठाकरे ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को राज्यभर के सभी प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा के उपयोग से संबंधित कानून का पालन करना चाहिए.

कानून हाथ में लेने का इरादा नहीं

राज ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि वह कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहते. उन्होंने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री का बयान देखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं लेगा. हम भी कानून अपने हाथ में लेने में रुचि नहीं रखते, लेकिन यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह कानून का पालन करे.”

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