अमेरिकी टैरिफ: भारत के लिए नुकसान कम, फायदा संभव

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मुंबई: प्रसिद्ध भारतीय कृषि अर्थशास्त्री और इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) के प्रोफेसर अशोक गुलाटी का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ से भारत के कृषि निर्यात को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में समझदारी से कदम उठाए, तो वह नुकसान की बजाय फायदा भी उठा सकता है.

गुलाटी ने बताया कि टैरिफ का असर सभी कृषि उत्पादों पर एक जैसा नहीं होगा. अगर भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर कम टैरिफ लगता है, तो भारत को कुछ उत्पादों के निर्यात में नुकसान हो सकता है. लेकिन कुल मिलाकर कृषि क्षेत्र में भारत को बड़ा झटका नहीं लगेगा. उन्होंने कहा, “अगर हम व्यापार समझौते में चतुराई से बातचीत करें, तो हमें लाभ हो सकता है.”

उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि चावल जैसे उत्पाद में अगर भारत पर 26% टैरिफ है, लेकिन वियतनाम और थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धी देशों पर इससे ज्यादा टैरिफ लगता है, तो भारत को फायदा होगा. वहीं, अगर इन देशों पर कम टैरिफ लगता है, तो भारत अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी खो सकता है. गुलाटी के मुताबिक, मौजूदा नीति के तहत भारतीय कृषि निर्यात पर अमेरिका में 27% टैरिफ लागू है, लेकिन असली बात यह है कि भारत और उसके प्रतिस्पर्धियों पर टैरिफ की तुलना कैसे होती है.

गुलाटी ने जोर देकर कहा कि ट्रंप के टैरिफ का असर अलग-अलग कृषि उत्पादों पर अलग-अलग होगा. इसका सही अनुमान लगाने के लिए भारत पर लगने वाले 26% टैरिफ के साथ-साथ अन्य देशों पर लगने वाले टैरिफ को भी देखना होगा. उनका मानना है कि कुशल रणनीति और सही बातचीत से भारत इस चुनौती को अवसर में बदल सकता है. उन्होंने कहा, “कृषि में भारत को ज्यादा नुकसान नहीं दिखता, लेकिन स्मार्ट तरीके से बातचीत करें, तो हम आगे बढ़ सकते हैं.”

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