नई दिल्ली | नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी युवक से पूछा कि क्या वह रेप पीड़िता से शादी करने के लिए तैयार है।मामले में एक संक्षिप्त सुनवाई के बाद, पीठ ने याचिकाकर्ता की जमानत की मांग पर विचार करने से इनकार कर दिया और उसे नियमित जमानत लेने की स्वतंत्रता दी। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को चार सप्ताह तक गिरफ्तारी से भी सुरक्षा प्रदान की।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता आनंद दिलीप लंगडे से पूछा, “क्या आप उनसे शादी करेंगे?”
बहस के दौरान आनंद ने पीठ के दलील दी कि उनका मुवक्किल एक सरकारी कर्मचारी है, और मामले में गिरफ्तारी के कारण उसे निलंबन का सामना करना पड़ेगा।
चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते याचिकाकर्ता को अपने कुकृत्यों के परिणामों के बारे में सोचना चाहिए था। हालांकि, चीफ जस्टिस ने जोर देकर कहा कि अदालत याचिकाकर्ता को लड़की से शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर रही है। पीठ ने कहा, “हम आपको शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं, अन्यथा आप कहेंगे कि हम आपसे शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।”
बता दें लड़की ने आरोप लगाया था कि जब वह 16 साल की थी, तब याचिकाकर्ता, जो कि उसका दूर का रिश्तेदार था, ने उसका बलात्कार किया था।
लड़की ने 2019 में याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 417, 506 और यौन अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की।