मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत मरम्मत कार्य में लापरवाही !
सरगुजा के विकास खण्ड उदयपुर में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत 178 स्कुलों का मरम्मत कार्य हेतु करोड़ों रुपए की स्वीकृति शासन द्वारा प्रदान की गई है. इन सभी मरम्मत कार्यों को 15 जून तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था.
उदयपुर| छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के विकास खण्ड उदयपुर में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत 178 स्कुलों का मरम्मत कार्य हेतु करोड़ों रुपए की स्वीकृति शासन द्वारा प्रदान की गई है. इन सभी मरम्मत कार्यों को 15 जून तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था.
निर्माण कार्यों में लापरवाही का आलम ऐसा है कि विकासखंड उदयपुर के सैकड़ों विद्यालय अभी भी मरम्मत के अभाव में जर्जर पड़े हैं. इन भवनों के मरम्मत का जिम्मा अधिकतर स्कूलों का RES विभाग को दिया गया था. टेंडर के माध्यम सभी मरम्मत के कार्य होना है, कुछ विद्यालय में अभी तक काम ही चालू नहीं हुआ है.
जहां काम चालू भी है तो वहां मानक स्तर के निर्माण नही हो रहे है. कुछ स्कूलों में बेयरिंग कोट और कुछ स्कूलों में प्रोफाइल शीट से मरम्मत कार्य होना है.
प्राथमिक शाला बैगापारा में छत को तोड़े बगैर ही अंदर प्लास्टर का काम किया जा रहा है. कैंची बनाकर उसके ऊपर स्क्वायर पाइप काफी पहले लगा दिया गया है परंतु उक्त भवन में प्रोफाइल सीट अभी तक नहीं लगा है और ना ही बाकी के मरम्मत कार्य हुए हैं.
- कई विद्यालयों में काम शुरू ही नहीं हुए और कुछ में काम चालू भी हुए हैं तो मानक स्तर के नहीं हो रहे काम
- मुख्यमंत्री की साख पर बट्टा लगाने का काम कर रहे RES के ठेकेदार
सानीबर्रा प्राथमिक स्कूल में शासन द्वारा ₹265000 की स्वीकृति प्रदान की गई है परंतु यहां के काम को देखने अभी तक ठेकेदार पहुंचे तक नहीं है ना ही किसी तरह का मरम्मत कार्य इस जगह पर चालू हुआ है.
सुखरीभंडार प्राथमिक शाला में विभाग के अनुसार 90 प्रतिशत काम हो गया है और विद्यालय का संचालन हो सकता है ऐसा कहना है एसडीओ RES शैलेंद्र भारती जी का परंतु स्कूल का मुआयना करने से पता चलता है कि मरम्मत कार्य हेतु शासन द्वारा दो लाख नब्बे हजार की स्वीकृति प्रदान की गई है. उक्त विद्यालय में प्रोफाइल सीट लगा हुआ है पहले से यहां पर सीमेंट की सीट लगी हुई थी जिसे निकालकर उक्त कैंपस में ही अव्यवस्थित रूप से रखा गया है.
छात्र छात्राओं को विद्यालय परिसर में आने जाने में दिक्कत होगी. सड़क का पूरा पानी विद्यालय परिसर में आकर जमा होता है. बारिश के दिनों में छात्र छात्राओं को आने जानें में काफी परेशानी होगी. इसके अलावा इसी विद्यालय में जो सीट लगाया गया है दीवाल के दोनों ओर पानी के रिसने का पर्याप्त जगह शेष है जिससे बच्चों को बैठने में बारिश में काफी दिक्कत होगी.
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आस पास के ग्रामीणों ने चर्चा के दौरान बताया की मनमाने तरीके से मरम्मत का कार्य हुआ है वह भी आधा अधूरा है. इस विद्यालय में शौचालय एवं पानी की भी गंभीर समस्या है. शासन प्रशासन को इस और भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
सबसे प्रमुख जो बात है वह यह है कि 26 जून से विद्यालय प्रारंभ होना है और अधिकतर विद्यालय अभी पूर्ण हुए नहीं है. आने वाले दिनों में और भी विद्यालयों के रिपोर्ट हम आप लोगों के समक्ष पेश करेंगे.
लोगों के कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छात्र-छात्राओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बेहतर शिक्षा की मंशा से मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत करोड़ों रुपए की स्वीकृति इन विद्यालयों की मरम्मत के लिए दिए. उस पर भी आरईएस विभाग के ठेकेदार पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. समय पर काम ना होने से शासन की बदनामी ही होगी इतना तो तय है.
लक्ष्मणगढ़ संकुल के समन्वयक भरत सिंह ने चर्चा के दौरान बताया कि विद्यालयों में मरम्मत कार्य का एस्टीमेट नहीं है विद्यालय की आवश्यकता के अनुरूप एस्टीमेट ही नहीं बनाया गया है. मरम्मत कार्य करके मलबा स्कूल के सामने ही छोड़ दिए जाने से यह परेशानी और भी बढी है.
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इस बारे में बात करने पर उदयपुर आरईएस के एस डी ओ शैलेंद्र भारती ने बताया कि 133 स्कूलों के मरम्मत का कार्य चल रहा है इसमें से 60 पूर्ण हुए हैं कुछ विद्यालय 80 से 90% तक पूर्ण है. मानक स्तर के निर्माण कार्य के लिए ठेकेदारों को नोटिस भी जारी किया जा रहा है जहां पर गुणवत्ता की शिकायत है उन जगहों पर सुधार कार्य कराया जाएगा.
deshdigital के लिए क्रांति कुमार रावत