video: महासमुन्द में स्थायी ठिकाना तलाश रहे हैं हाथी, यूँ ही नहीं होते हिंसक
छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले में हाथियों का विचरण लगातार जारी है। हाथियों की चाल एवम व्यवहार देख कर यह स्पष्ट है कि हाथी हिंसक नहीं है बल्कि वे अपना कोई स्थायी ठिकाना तलाश रहे हैं| इधर विभाग अपने क्षेत्र से खदेड़ कर अन्य क्षेत्र भेजते हैं और अन्य परिक्षेत्र के अफसर पुनः हाथियों को वापस खदेड़ देते हैं |
महासमुन्द| छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले में हाथियों का विचरण लगातार जारी है। हाथियों की चाल एवम व्यवहार देख कर यह स्पष्ट है कि हाथी हिंसक नहीं है बल्कि वे अपना कोई स्थायी ठिकाना तलाश रहे हैं| इधर विभाग अपने क्षेत्र से खदेड़ कर अन्य क्षेत्र भेजते हैं और अन्य परिक्षेत्र के अफसर पुनः हाथियों को वापस खदेड़ देते हैं |
दो दिन पूर्व महासमुंद जिला मुख्यालय के समीप रेलवे स्टेशन के पास से हाइवे पार कर सिरपुर की ओर गए हाथी कल शाम वापस लौट कर अरण्ड के जंगलो में चले गए। हाथियों की चाल एवम व्यवहार देख कर यह स्पष्ट है कि हाथी हिंसक नहीं है बल्कि वे अपना कोई स्थायी ठिकाना तलाश रहे हैं|
मंगलवार की शाम पटेवा के समीप राष्ट्रीय राज मार्ग 53 में हाथी आराम से सड़क किनारे खड़े थे। शायद वे सड़क पार करने के लिए मार्ग सुनसान होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस बीच दर्जनों दुपहिया स्वर साईकल सवार और भारी वाहन एवम बसे राह पर आसानी से बेरोकटोक चलती रही। हाथी ने किसी भी राहगीर को ना रोका ना ही हमला किया।
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दो हाथियों के हाइवे के किनारे खड़े होने की जानकारी वन विभाग को मिलते ही पूरा वन अमला एवम पटेवा पुलिस बल आम लोगो की सुरक्षा हेतु अलर्ट हो गया।
इस सम्बन्ध में महासमुन्द के प्रभारी रेंजर एस आर डड़सेना बताते हैं कि चार हाथी विगत तीन दिन पहले सिरपुर क्षेत्र में गए थे।इनमे से दो हाथी वापस लौट आये है। ये हाथी सड़क पार कर अरण्ड जंगल की ओर जाना चाहते थे। इसके आधार पर हाथी के स्थान से आधा आधा किलोमीटर दूर ट्रैफिक रुकवा दिया गया। ट्रैफिक रुकते ही 5 मिनट के अंदर दोनों हाथियों ने सड़क पर कर ली और सड़क के किनारे स्थित बोडरा विश्राम गृह में घुस गए ।यहां हाथियों ने रेस्ट हाउस में लगे केले के पेड़ों से केले तोड़ के खाये और बगैर किसी हिंसक हरकत के ही आगे बढ़ गए।
हाथी हिंसक नहीं
हाथियों के इस शांत रवैये से यह तो तय हो गया कि हाथी स्वयम में हिंसक नहीं है। वे सड़क किनारे साईकिल सवार से लेकर पैदल चलने वालों को भी देखते रहे परन्तु किसी पर हमला नहीं किया और ना ही नुकसान पहुँचाया जिससे ऐसे लगता है कि हाथी हिंसक नहीं हैं बल्कि वे अपने कॉरिडोर पर आगे बढ़ते विचरण करते है और अपनी भूख मिटाने के लिए धान या फल खा कर लौट जाते हैं |
अरण्ड में भी चहलकदमी पर किसी को नुकसान नहीं
इधर पूर्व में भी हिंसक माने जा रहे हाथियों के दल ने मुख्यालय के समीप स्थित (देखें वीडियो अरण्ड में भी विगत दिनों चहलकदमी की थी। हाथियों को ग्राम की गलियों में देख कर ग्रामीण अपने घरों में घुस गए थे।इसके बाद चार हथियो का फल आराम से चहल कदमी करते हुए आगे बढ़ गया था।
कोई ठोस योजना नहीं, मात्र खदेड़ने में ही जुटा विभाग
हाथियों के लिए कोरोडोर बनाने सरकार एवम वन विभाग के पास कोई ठोस कार्ययोजना अब तक दिखाई नही दे रही।वन विभाग एक ही योजना पर कार्य कर रहा है वह भी हाथियों को अपने क्षेत्र से खदेड़ने की।अब विभाग के अफसर हाथियों को अपने क्षेत्र से खदेड़ कर अन्य क्षेत्र भेजते है और अन्य परिक्षेत्र के अफसर पुनः हाथियों को वापस भेजने में ही मशगूल है जिससे अब तक शांति से विचरण कर रहे हाथी कभी भी अपने रौद्र रूप में दिखाई पड़ सकते है जिससे मानव एवम हाथी दोनों को नुकसान हो सकता है।
स्पेशल टास्क फोर्स :महासमुन्द एवम बलौदाबाजार शामिल नहीं
प्रदेश में हाथियों की बढ़ती संख्या एवम मानव हाथी द्वंद को रोकने प्रदेश सरकार द्वारा मरवाही, कटघोरा जशपुर ,धरमजयगढ़, गौरेला पेंड्रा मरवाही में इसकी रोकथाम के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है| यह स्पेशल टास्क फोर्स हाथी प्रभावित क्षेत्रों में जाकर उसके रहवास और वातावरण का अध्ययन करके स्थाई निदान निकालने योजना बनाएगी| परन्तु हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित महासमुन्द एवम बलौदाबाजार जिला इससे अलग रखा गया है।
अब शासन के उक्त निर्देशो से सवाल उठने लगे है कि क्या इन दोनों जिलों को शासन हाथी प्रभावित नहीं मानती? ज़बकि इन दोनों जिलों में हाथियों से प्रभावित ग्रामीणों को करोड़ो का मुआवजा हाथियों द्वारा फसल खराब करने के एवज में बांटा जा चुका है। इसके अलावा दोनों जिलों में कोई तीन दर्जन से अधिक लोगों की जान हाथियों के हमले में जा चुकी है।
क्षेत्र के ग्रामीण अब हाथियों के विगत पांच वर्षों से लगातार विचरण एवम जान माल के खतरे के मद्देनजर हमेशा मानसिक तनाव का जीवन जी रहे हैं । क्षेत्रवासी चाहते है कि हाथियों के रहवास हेतु सरकार कोई ठोस कदम उठाए और हाथी मानव द्वंद को रोक कर उन्हें तनावमुक्त जीवन जीने का मौका दे।
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा की रिपोर्ट