पापाचार और अनाचार से पृथ्वी व्याकुल हो जाती है- राधिका किशोरी
संसार मे जब जब धर्म की हानि होती है , असुरों का वर्चस्व स्थापित हो जाता है । चारों ओर त्राहि त्राहि मच जाती है पापाचार और अनाचार से पृथ्वी व्याकुल हो जाती है । तब विप्र, धेनु, सुर और संतो का कल्याण करने के लिये भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते है ।
पिथौरा| संसार मे जब जब धर्म की हानि होती है , असुरों का वर्चस्व स्थापित हो जाता है । चारों ओर त्राहि त्राहि मच जाती है पापाचार और अनाचार से पृथ्वी व्याकुल हो जाती है । तब विप्र, धेनु, सुर और संतो का कल्याण करने के लिये भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते है । रामायण की कथा में प्रतापी सूर्यवंश में शुभ घड़ी और शुभलग्न में जब भगवान श्री राम जन्म होता है तब जोग, लगन, ग्रह , वार और तिथि सब अनुकूल हो जाते हैं ।
पिथौरा के ग्राम भुरकोनी में नव वर्ष 1 जनवरी से चल रहे श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में तीसरे दिवस की कथा में श्रीराम जन्म की कथा कहते हुये सुप्रसिद्ध कथा वाचिका राधिका किशोरी ने उपरोक्त बातें कही । उन्होंने कहा कि भगवान के विभिन्न अवतारों में उपर्युक्त बातें उसका हेतु बनती हैं यद्पि गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम जन्म के और भी कारण बताएँ हैं । जिनमें श्रीहरि विष्णु के द्वार पालो जय और विजय को सनत कुमारों द्वारा दिया गया श्राप है जिसके फलस्वरूप जय और विजय कालांतर में रावण और कुंभकर्ण के रूप में आये । जिनकी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया भगवान ने अपने रामावतार में इसी तरह जलंधर और माता वृंदा का प्रसंग भी आता है जिसमें परिस्थिति जन्य कारणों से महान पतिव्रता माता वृंदा के श्राप के फलस्वरूप श्रीहरि को पत्थर की मूरत होना पड़ा जिसे सारा संसार शालिग राम के नाम से पूजता है ।
भगवान श्रीराम के अवतार का एक और कारण विश्व मोहिनी प्रसंग में देवऋषि नारद द्वारा भगवान विष्णु को दिया गया श्राप भी है । जिसमें बंदर का मुख दिये जाने से क्रोध के आवेश में नारद ने धड़धड़ तीन श्राप दे डालें क्रमशः मृत्यु लोक पर जन्म लेना पड़ेगा । साधारण मनुष्य की भांति पत्नी के वियोग में तड़फना पड़ेगा और जिस बंदर का मुख देकर मुझे अपमानित किया गया वही बंदर तुम्हारी सहायता करेंगे ।राम जन्म को लेकर कथा वाचिका साध्वी राधिका किशोरी ने धाराप्रवाह कई पौराणिक एवं क्षेपक कथाओं का वर्णन करते हुये ऐसा समां बांधा कि कथा पांडाल दशरथ का महल लगने लगा और जब राम सहित चारों पुत्रों की किलकारियां गूँजने लगी तब पूरा पांडाल भय प्रगट कृपाला दीन दयाला के तर्ज पर झूम उठा ।