अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा पिछले एक हफ्ते से राज्य के अलग जगहों पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को रायपुर और धरसीवां में भी कार्यक्रम आयोजित किये गए.
रायपुर| अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा पिछले एक हफ्ते से राज्य के अलग जगहों पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को रायपुर और धरसीवां में भी कार्यक्रम आयोजित किये गए.
“समाज में समानता के मूल्य : महिलाओं का योगदान” जहाँ रायपुर का विषय था और यह शासकीय नवीन कन्या सरस्वती उ.मा. विद्यालय, पुरानी बस्ती में आयोजित किया गया.
वहीँ “लैंगिक समता पर आधारित समाज एवं शिक्षा की भूमिका विषय पर धरसीवां के जनपद भवन सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें महिला वाल विकास विभाग संयुक्त आयोजक थे.
“पंख हमारे चाहने से उगते हैं, और एक बार उड़ना सीखने के बाद तो सारा आसमान हमारा है.”- जया जादवानी
इस कार्यक्रम में चर्चा के दौरान जया जी ने कहा की “आप जो भी करते हैं, उसमे आपका चयन होना चाहिए अब कपड़ों और संस्कार के नाम पर हो रहे भेदभाव से ऊपर उठकर अपनी आग और जज्बे को पहचानना होगा.” उन्होंने से इसी सन्दर्भ में कहा की,”अगर तुम्हें पंख नहीं मिले हैं तो उगाओ, पंख हमारे चाहने से उगते हैं और एक बार उड़ना सीखने के बाद सारा आसमान हमारा है.”
इस कार्यक्रम में साहित्यकार जया जादवानी के अलावा पत्रकार रश्मि द्रोलिया और चिकित्सक डॉ. लक्ष्मी शर्मा शर्मा वक्ता के रूप में कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों से चर्चा की.
वक्ताओं ने भारतीय संविधान की संकल्पना में स्वतंत्रता, न्याय, बंधुता के मूल्य को साकार करने में किस प्रकार एक महिला स्वयं आगे आये, इसके लिए प्रेरित किया. चर्चा में प्रमुख रूप से यह भी कहा गया की हमें धर्मं, रंग, भेद, कपड़ों, संस्कार, जाति के नाम पर हो रहे भेदभाव से ऊपर उठकर अपनी पहचान बनानी होगी और समानता, प्रेम, बन्धुत्व एवं सहअस्तित्व आधारित समाज बनाने में अपना योगदान देना होगा.
संगोष्ठी में शहर के कई सरकारी और गैरसरकारी विद्यालयों के शिक्षक और अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सदस्य शामिल हुए. शिक्षकों इस संगोष्ठी में न केवल खुलकर अपना विचार रखे बल्कि कई सवाल भी किये.
कार्यक्रम में विषय से सम्बंधित फिल्मों और पोस्टरों का भी प्रदर्शन किया गया.