कोठारी वन परिक्षेत्र: असम से लाये 4 वनभैंसे बाड़ा में, कुनबा अब 6 का
छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे कोठारी वन परिक्षेत्र असम के मानस टाइगर रिजर्व से लाए गए चार नग मादा वन भैंसों के साथ, वनभैंसा का कुनबा अब 6 का हो गया है.कल न्यायालयीन रोक हटने के बाद कल 4 मादा वनभैंसो को भी नियमानुसार बाड़ा में छोड़ दिया गया.
पिथौरा| छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे कोठारी वन परिक्षेत्र असम के मानस टाइगर रिजर्व से लाए गए चार नग मादा वन भैंसों के साथ, वनभैंसा का कुनबा अब 6 का हो गया है.कल न्यायालयीन रोक हटने के बाद कल 4 मादा वनभैंसो को भी नियमानुसार बाड़ा में छोड़ दिया गया.
समीप के बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे कोठारी वन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 169 खैरछापर में राजकीय पशु वनभैंसा का कुनबा अब 6 का हो गया है. कल न्यायालयीन रोक हटने के बाद कल 4 मादा वनभैंसो को भी नियमानुसार बाड़ा में छोड़ दिया गया. ज्ञात हो कि इसी बाड़े में दो साल पहले लाये गए एक वनभैंसो का जोड़ा रखा गया है. अब इस बाड़े में वनभैंसो कई संख्या 6 हो गयी है.
ज्ञात हो कि वन विभाग द्वारा कोठारी वन परिक्षेत्र में बनाये गए 10 हेक्टेयर रकबे के बाड़े में दो वनभैंसे 2020 में लाकर छोड़े गए थे. जिनका संरक्षण एवं संवर्धन उक्त बाड़े में हो रहा है.अब इसी बाड़े में केन्द्र शनिवार 15 अप्रैल की देर शाम छत्तीसगढ़ प्रदेश द्वारा अन्तराज्यीय असम के मानस टाइगर रिजर्व से परिवहन कर लाए गए चार नग मादा वन भैंसों को भी वन विभाग के आलाधिकारियों एवं पशुचिकित्साधिरियों की मौजूदगी में छोड़ा गया.
विभागीय सूत्रों के अनुसार इस वन भैंसा संरक्षण एवं संवर्धन केन्द्र के बाड़ों में पूर्व में छोड़े गए एक नर-मादा जोड़े मिलाकर अब पांच मादा एवं एक नर वन भैंसा सहित कुल संख्या छह हो गई है. शनिवार 15 अप्रैल की देर शाम छोड़े गए चार नग मादा वन भैंसों को छोड़े जाने के बाद बारनवापारा वापस लौटे कसडोल पशु शल्यज्ञ चिकित्सा अधिकारी डॉ लोकेश वर्मा ने कहा कि बारी-बारी से एक-एक कर सभी करीब दो-ढाई साल उम्र के मादा वन भैंसों को वहां बने स्थान में छोड़े गए. यह प्रक्रिया करीब 7-8 बजे देर शाम पुरी की गई. फिलहाल तीन दिनों की सफर से थोड़ा स्ट्रेस है. बाकी ठीक है.
वन परिक्षेत्र अधिकारी ने दी जानकारी
कोठारी वन परिक्षेत्र के बाड़े में छोड़े गए वनभैंसी के सम्बन्ध में परिक्षेत्र अधिकारी कृषाणु चन्द्राकार ने बताया कि सभी वनभैंसे स्वस्थ हैं. पीसीसीएफ सुधीर अग्रवाल ,एपीसीसीएफ श्री कौशलेंद्र की उपस्थिती में पशु चिकित्साधिकारियों की टीम के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में वन भैंसों को यहां छोडा़ गया है. बाद में आगे उच्च अधिकारियों के दिशानिर्देश मिलने पर इन वन भैंसों को गरियाबंद उदंती टाइगर रिजर्व सिफ्ट किया जा सकता है.
इधर विभाग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि उदन्ती सीतानदी टायगर रिजर्व में विद्यमान वन भैंसों में केवल नर वन भैंसा ही बचे हैं एवं देश के मध्य भारत में वन भैंसें विलुप्त के कगार में हैं. इस हेतु माह फरवरी 2023 से वन विभाग छत्तीसगढ़ की टीम मानस टाइगर रिजर्व असम में जाकर सर्वेक्षण का कार्य किया.
तदोपरान्त भारत शासन से अनुमति प्राप्त कर बोमा का निर्माण कर 4 मादा वन भैंसों को सफलता पूर्वक कैप्चर किया गया. इन वन भैंसों का सैम्पल डी.एन.ए. एवं नस्ल शुद्धता की परीक्षण हेतु भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून भेजा गया. जहां परीक्षण उपरांत सकारात्मक रिपोर्ट आने के पश्चात ही उक्त 4 मादा वन भैंसों को 1700 कि.मी. दूरी से लाकर बारनवापारा अभ्यारण्य के वन भैंसें बाड़े में लाया गया है.
इस हेतु बाड़े में लगभग 100 वर्ग मीटर में 4 क्राल का निर्माण किया गया है. इन चारो क्राल में पृथक-पृथक लोटान हेतु वाटर बॉडी का निर्माण किया गया है तथा ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से बचाव हेतु झोपड़ी निर्माण किया गया है. वन भैंसों की सुरक्षा हेतु अनुकूलन के उद्देश्य से बाड़े के चारो ओर ग्रीन नेट तथा घांस की चटाई से क्राल को घेरा गया है. साथ ही साथ वनभैंसों को खाद्य हेतु 1-1 हेक्टेयर के तीन जगहों पर हरे चारे की आपूर्ति हेतु नेपीयर घांस व मक्का लगाया गया है.
हरे चारे के साथ-साथ अन्य पोषक खाद्य की व्यवस्था की गई है. उपरोक्त अद्वितीय कार्य सी.सी.एम.बी. हैदराबाद एवं भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के मार्ग दर्शन एवं पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश वर्मा एवं डॉ. पी.के. चंदन के निर्देशन में किया जा रहा है. पशु चिकित्सकों के निगरानी में इनके स्वास्थ्य एवं प्रजनन के कार्य किया जाना है.
मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री ने दी वन विभाग को शुभकामनाएं
राजकीय पशु वनभैंसा के सुरक्षित बार लाये जाने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्भूपेश बघेल एवं वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने इस कार्यक्रम के अवसर पर पूरे प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए राजकीय पशु वन भैंसों के बारनवापारा अभ्यारण्य आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त की एवं कहा कि असम राज्य से लाये गये वन भैंसों से राजकीय पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी एवं राजकीय पशु की संरक्षण एवं संवर्धन में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगी। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु समस्त अधिकारियों एवं टीम को शुभकामनाएँ दी.
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा