किशनपुर: विश्वास, आस्था और चमत्कार का अन्धविश्वास

खुजली दूर होने से शुरू हुआ यह विश्वास अब चमत्कार बनकर लकवा, हड्डी दरद ठीक होने से लेकर तमाम तरह के रोगों, दिक्कतों को दूर करने वाला बनकर प्रचारित होने लगा और अब आसपास के प्रांतों से लोग पहुंचने लगे हैं.

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 deshdigital विशेष रिपोर्ट: रजिंदर खनूजा

दो साल से पैरों में बेंगची-खुजली से परेशान बुजुर्ग ने खेत की माटी को लगा लिया. राहत मिली तो दूसरे दिन वहीं फिर जाकर फिर माटी को लगा लिया. उसे विश्वास होने लगा कि माटी में जरुर कुछ है. उसने इसे भगवान की कृपा समझा और वहीं बैठकर प्रार्थना  करने लगा. इसी बीच महुए के पेड़ के नीचे जहाँ बैठा था, की जगह को साफ करने लगा. पेड़ की जड़ में एक काला पत्थर दिखा, उसका विश्वास बढ़ता गया और उसे लगा कि भगवान शिव अवतरित हुए हैं और इसी कारण उसकी बीमारी ठीक हुई है. वह गाँव लौटा और लोगों को पूरी बात बताई. अब उसका यह विश्वास आसपास के गाँव में इस तरह फैला कि बोरवेल के पास का यह खेत आस्था का समुद्र बन गया.

सोशल मिडिया ने रही सही कसर पूरी कर दी. खुजली दूर होने से शुरू हुआ यह विश्वास अब चमत्कार बनकर लकवा, हड्डी दरद ठीक होने से लेकर तमाम तरह के रोगों, दिक्कतों को दूर करने वाला बनकर प्रचारित होने लगा और अब आसपास के प्रांतों से लोग पहुंचने लगे हैं.

अब जितने मुंह उतनी बातें, किसी ने किसी को ठीक होते देखा नहीं, सुनने की बात करते हैं, और सुनकर आने की बात करते हैं.

हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लाक से महज 6 किलोमीटर दूर गाँव किशनपुर की जो इन दिनों अचानक लोगों के आस्था का केंद्र बन गया है. सुबह होते ही लोगों की भीड़ उमड़ने लगती है, लोग अपनी मन्नत लेकर पहुंचने लगे हैं. खासकर सोमवार को जिसे शिब पूजा का विशेष दिन माना जाता है. नारियल और चढ़ावा चढ़ने लगा, अब मन्दिर बनने की तैय्यारी भी होने लगी है.

एक महुआ पेड़ के नीचे एक पत्थर पर गुलाल एवम बंधन लगा कर फूल मालाएं चढ़ी हैं. आसपास नारियल के ढेर एवम रुपयों का चढ़ावा भारी मात्रा में दिखाई दे रहा है.

आज दसों दिशाओं से तमाम तरह के दुश्वारियों से थकाहारा, ठुकराया, लुटा-पिटा, बेबस-लाचार आम इंसान के सामने बस चमत्कार की उम्मीद रह गई है. शायद यही वजह है कि किसी चमत्कार की बात सुनकर ही लोग किसी चमत्कार से अपना जीवन संवारने पहुंच रहे हैं.

 

महंगाई के इस दौर में आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए भी इंसान किसी चमत्कार की आस में बैठा है.  पर सबसे बड़ा चमत्कार तो  यह कि यहाँ दूकानें  सजने लगी हैं, मेला भरने लगा है, लोगों को रोजगार मिलने लगा है

खेत मालिक का परिवार जुटा व्यवस्था में

किशनपुर के लिंगराज प्रधान परिवार के खेत में ही कथित शिवलिंग प्रकट हुए हैं. अब इस स्थान पर बकायदा दिन भर भजन बजते रहते हैं.

लिंगराज प्रधान के साथ पत्रकार रजिंदर खनूजा

लिंगराज प्रधान और वासुदेव बारीक ने deshdigital  को बताया कि जिस स्थान पर वर्तमान में शिवलिंग की पूजा हो रही है वहां  पर खेत था और धान लगा था.आज से कोई ढाई माह पूर्व ग्राम का ही शौक़ीलाल सेठ अपने शरीर की बीमारी से परेशान हो कर इनके खेत के पास आया और अपने खुजली युक्त पैरों में मिट्टी लगाई और वहीं बैठ कर शिवजी का ध्यान करने लगा. इसके बाद वापस घर आ गया सुबह उसने अपना पैर देखा तो उसमें दर्द नहीं था और खुजली भी कम हो गयी थी.

इसके बाद दूसरे दिन भी शौक़ी ने इसे दोहराया और आसपास देखा तो एक महुआ पेड़ के नीचे जाले लगे थे जिसे हटाया तो उन्हें एक छोटा सा शिवलिंग की तरह पत्थर दिखा.

वासुदेव बारीक के साथ पत्रकार रजिंदर खनूजा

इस घटना की जानकारी ज़ब वासुदेव ने ग्राम में बताई तब ग्राम के ही कुछ युवकों ने कथित शिवजी प्रकट होने की बात लिख कर सोशल मीडिया में डाल दी. धीरे-धीरे यह बात सोशल मीडिया पर इतनी तेजी से वायरल हुई कि दुखों से परेशान लोग यहाँ पहुंचने लगे. अब हालात यह हो गए हैं कि प्रतिदिन हजारों की भीड़ इस कथित शिवलिंग के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

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मुझे भोलेनाथ ने ठीक किया- शौक़ी

 

ग्राम किशनपुर के ग्रामीण शौक़िलाल सेठ से जब deshdigital ने बात कि तब उसने बताया कि वे अपने पैरों में कुछ चकते होने से खुजला खुजला कर परेशान था. दर्द भी था. इसी बीच परन्तु वासुदेव के खेत के पास की मिट्टी लगाई तो ठीक होने लगा और वहां महुआ पेड़ के नीचे स्वमेव प्रकट शिव जी ने उन्हें ठीक कर दिया है. उसने बताया कि ग्राम के और लोग भी अपनी बीमारी लेकर गए थे सभी को आराम हो गया.

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 हजारों की भीड़ मात्र अफवाहों की देन

झारखंड और ओडिशा से आये श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया से पता चला कि पिथौरा के समीप शिवजी प्रकट हुए हैं इसलिए हम यहां दर्शन कर अपनी मन्नतें लेकर आये हैं. इन्होंने यह भी कहा कि लोग यहां के दर्शन मात्र से ठीक हो रहे हैं, परन्तु इस प्रतिनिधि के यह पूछने पर कि कौन ठीक हुआ है जानते हो, तब उन्होंने कहा कि ऐसा उन्होंने सुना है.

 

इस इलाके में महकमा और मेटकुला में भी ऐसा हो चुका

ज्ञात हो कि उक्त तरह का कथित चमत्कार इस क्षेत्र में लगातार हो रहे हैं. कोई 3 वर्ष पहले सोनाखान के पास ग्राम महकम में भी इसी तरह भगवान प्रकट होने की अफवाह से लगातार दो तीन माह प्रतिदिन हजारों की भीड़ जुटती थी. इसके बाद दो वर्ष पूर्व बया के समीप भी एक कथित चमत्कार में घुटना एवम कमर दर्द ठीक होने की अफवाह ने उपचार करने वाले बैगा को मालामाल कर दिया था. अब यही स्थिति किशनपुर की भी है.

 

आस्था के साथ चढ़ावे और नारियल का पहाड़

प्रतिदिन 10 हजार चढ़ावा

किशनपुर के कथित महादेव में दर्शनार्थी मुक्त हस्त से दान कर रहे हैं. भाजपा नेता संपत अग्रवाल ने 1 लाख 11 हजार रुपये का दान किया. इसके अलावा प्रतिदिन करीब करीब 10 हजार रुपये चढ़ोत्तरी के आ रहे हैं. इस चढ़ोत्तरी को दूसरे दिन शिवलिंग की देखरेख वाले भोजराज बारीक देवराज बारीक,दुबराज गजराज सहित कुछ ग्रामीणों के साथ बैंक में जमा करवा रहे है. जिसका भविष्य में इस स्थान पर मंदिर बनवाने की योजना है.

अपील करते दिख रहे इस पोस्टर में स्वयंभू शिवलिंग होना लिखा गया है

मिट्टी में होते है ऐसे गुण कि दाद खुजली भी हो जाती है ठीक

उक्त सम्बन्ध में प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. लाल बहादुर मोहन्ती ने बताया कि उन्होंने स्थल देखा है. वहाँ  के खेत में काली और लाल चिकनी मिट्टी है. प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी के लेप का काफी महत्व है. मिट्टी के लेप से अनेक चरम रोग ठीक होते है लिहाजा शौक़ी के पैरों में चरम रोग है जो कि प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों के तहत ठीक हो रहे हैं यह कोई चमत्कार नहीं है.

 मिट्टी से चर्म रोग ठीक होना सम्भव–डॉ तारा

स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ तारा अग्रवाल ने इस सम्बंध में बताया कि शौक़ी को कुष्ठ रोग नहीं होगा. उसे कोई चर्म रोग खुजली वगैरा हो सकता है जो कि मिट्टी लेप से ठीक होना सम्भव है परन्तु कुष्ठ रोग मात्र दवाओं से ही ठीक होगा.

 

खेत की मिट्टी में सल्फर-पटेल

स्थानीय कृषि अधिकारी डी पी पटेल ने बताया कि उक्त मामले में जिस खेत से मिट्टी लेकर लगाई गई होगी उस खेत की मिट्टी सल्फर वाली होगी या खेत में सल्फर खाद का उपयोग किया गया होगा क्योंकि सल्फर चर्मरोग ठीक करने में भी उपयोगी है.

अब जिस वक्त यह रिपोर्ट लिखा जा रहा है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कथा वाचक प्रदीप मिश्रा का प्रवचन चल रहा है. रोज लाखों की भीड़ जुट रही है. श्रद्धालू उनके पांव छूना चाहते हैं. पर इतनी भीड़ में सबको नसीब कहाँ. आस्था इस कदर कि लिहाजा वे जिधर से गुजर रहे हैं उनके चरण पड़े जगह को लोग अपने माथे लगा रहे हैं. शायद उनके दुख-दरद, ब्याधि कलेश मिट जाएँ. यह राजधानी है जहाँ पढ़े-लिखे जियादा हैं. तब ऐसे में किशनपुर में भी आस्था का समन्दर इस तरह बह निकल रहा हो तो कोई हैरानी नहीं.

बहरहाल, deshdigital  ने पूरे मामले को देखा-समझा-जाना कि यह मात्र आस्था का ही मामला है, कोई चमत्कार नहीं. और जब राजनीति से जुड़े लोग  या जनप्रतिनिधि भी जुड़ने लगते हैं तो लोगों की आस्था को और बल मिलता है और बढ़ने लगता है. विश्वास, आस्था बनकर उमड़ने लगती है और चमत्कार का अन्धविश्वास लोगों में घर करने लगता है. आखिर में कुछ दिनों में इसका भांडा फूटता ही है.

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